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चारा घोटाला : रुपयों से भरे सूटकेस के साथ दिवाकर सीएम आवास गये व खाली हाथ आये

रांची : पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय निदेशक ओपी दिवाकर रुपयों के भरा सूटकेस लेकर लालू प्रसाद के आवास में गये. थोड़ी देर बाद वह खाली हाथ लौटे. दुमका के प्रमंडलीय आयुक्त को फर्जी निकासी में से पांच प्रतिशत का भुगतान किया जाता था. क्षेत्रीय निदेशक के कार्यालय में स्टाफ वेरिफिकेशन ऑफिसर के पद पर पदस्थापित […]

रांची : पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय निदेशक ओपी दिवाकर रुपयों के भरा सूटकेस लेकर लालू प्रसाद के आवास में गये. थोड़ी देर बाद वह खाली हाथ लौटे. दुमका के प्रमंडलीय आयुक्त को फर्जी निकासी में से पांच प्रतिशत का भुगतान किया जाता था. क्षेत्रीय निदेशक के कार्यालय में स्टाफ वेरिफिकेशन ऑफिसर के पद पर पदस्थापित डॉक्टर सईद ने बतौर एप्रुवर अदालत को दिये गये अपने बयान में इस बात की उल्लेख किया है.

डॉक्टर सईद ने अपने बयान में कहा है कि 22 जनवरी 1996 को क्षेत्रीय निदेशक ओपी दिवाकर ने उसे पटना स्थित अपने आवास पर बुलाया. उनके आवास पर पहुंचने पर सईद ने देखा की ओपी दिवाकर काफी परेशान हैं. पूछने पर बताया कि वित्त सचिव वीएस दूबे ने पशुपालन विभाग की फर्जी निकासी का मामला पकड़ लिया है. उन्होंने रांची महालेखाकार कार्यालय से निकासी से संबंधित विस्तृत ब्योरा भी मंगा लिया है. लालू प्रसाद के करीबी आरके राणा ने दिवाकर प्रसाद के मिलने के लिए लालू प्रसाद से समय लिया है. लालू प्रसाद को पैसा देना होगा. इतना बताने के बाद दिवाकर ने उसे अपने बेड रूम में बुलाया और यह देखने के लिए कहा कि कमरे में रखे गये सूटकेस में 20 लाख रुपये हैं या नहीं. सईद ने सूटकेस की जांच के बाद दिवाकर को बताया कि सूटकेस में 20 लाख रुपये हैं. इसके बाद दिवाकर अपने कार में सूटकेस के साथ उसे लेकर लालू प्रसाद के सरकारी आवास पर पहुंचे. गेट पर पहुंचने के बाद गेट पर तैनात जवान ने दिवाकर से उसकी पहचान बताने के कहा. दिवाकर ने गार्ड को बताया कि वे लोग आरके राणा के आदमी हैं. इतना सुनने के बाद गार्ड ने दिवाकर को अंदर जाने की इजाजत दे दी.

वह रुपये से भरा सूटकेस लेकर आवास के अंदर चले गये. जबकि सईद कोरिडोर में खड़ा रहा. थोड़ी देर बाद दिवाकर खाली हाथ वापस लौटे. इसके बाद दिवाकर ने सईद को बताया कि लालू प्रसाद को रुपयों से भरा सूटकेस दे दिया गया. उन्होंने दुमका ट्रेजरी से हुई निकासी की जांच के मामले में टालमटोल करने का आश्वासन दिया है.

सईद ने अपने बयान में कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव 1995 के समय ओपी दिवाकर को बुलाया. राणा ने दिवाकर से कहा कि उसे गोपालपुर विधानसभा के लिए टिकट मिला है. इसलिए दिवाकर उसे चुनाव खर्च के लिए रुपये दे. इसके बाद दिवाकर सूटकेस में 10 लाख रुपये लेकर उसके साथ राणा के घर गये थे. दिवाकर ने उसके सामने ही राणा को रुपयों से भरा सूटकेस दिया. राणा ने उसके सामने ही दिवाकर से और पैसों की मांग की. दिवाकर ने कहा कि चुनाव के दौरान उसे 30 लाख रुपये खर्च करना होगा. सईद ने मंत्री चंद्र देव प्रसाद वर्मा के मामले का उल्लेख करते हुए अपने बयान में कहा है कि मंत्री ने ओपी दिवाकर को दुमका के अलावा भागलपुर और पूर्णिया के क्षेत्रीय निदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया था. इसके आलावा गोड्डा, भागलपुर और कटिहार के जिला पशुपालन पदाधिकारी का भी प्रभार दिया था. इसके बदले में दिवाकर ने मंत्री को रुपये दिये.

दिवाकर ने सईद को अपने घर पर बुलाया था और सात लाख रुपये गिनने को कहा. सईद ने रुपये गिनने के बाद उसे सूटकेस में रखा. इसके बाद दिवाकर रुपयों से भरे से सूटकेस के साथ सईद को लेकर मंत्री के कंकड़बाग स्थित आवास पर गये. दिवाकर ने उसके सामने ही मंत्री को रुपयों से भरा सूटकेस दिया. मंत्री ने चुनाव खर्च के नाम पर दिवाकर से और पैसों की मांग की. इसके बाद मंत्री को चुनाव खर्च के लिए और आठ लाख रुपये दिये गये. सईद ने अपने बयान में कहा कि चुनाव के वक्त नेताओं पर 1.5 करोड़ रुपये खर्च किये गये. लोक लेखा समिति के अध्यक्ष जगदीश शर्मा पैसों के लिए दिवाकर को हमेशा अपने घर पर बुलाया करते थे.

सईद ने अपने बयान में तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त को निकासी की गयी राशि का पांच प्रतिशत कमीशन के तौर पर दिये जाने का उल्लेख किया है. उसने अपने बयान में कहा है कि प्रमंडलीय आयुक्त एसएन दूबे ने दुमका ट्रेजरी का इंस्पेक्शन किया. इस क्रम में उन्होंने 29़ 9़ 1992 से 1993-94 तक की अवधि में की गयी निकासी का विस्तृत ब्योरा मांगा. इससे तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक शेष मुनिराम काफी परेशान हुए. हालांकि बाद मे उसने सईद को यह जानकारी दी कि प्रमंडलीय आयुक्त से बात हो गयी है.

प्रमंडलीय आयुक्त को निकासी की गयी राशि का पांच प्रतिशत देना होगा. इससे जितना चाहे उतने कि निकासी कि जा सकेगी. मई 1994 में प्रमंडलीय आयुक्त ने एक आदेश जारी किया. इसमें ट्रेजरी ऑफिसर को यह निर्देश दिया गया कि वह पशुपालन विभाग के पांच लाख और उससे अधिक के बिल को पास करे. शेष मुनि राम ने अपने तबादले के बाद प्रमंडलीय आयुक्त से नये क्षेत्रीय निदेशक ओपी दिवाकर का परिचय कराया. सईद ने अपने बयान में कहा कि ओपी दिवाकर अपने अधीनस्थ अधिकारियों से फर्जी आपूर्ति का रसीद लेते थे. श्याम बिहारी सिन्हा अपने करीबी महेंद्र प्रसाद के माध्यम से आवंटन आदेश भेजते थे. दिवाकर के कार्यकाल में बिना सप्लाइ के ही दुमका ट्रेजरी से पैसों की निकासी की गयी. सिर्फ 20 लाख रुपये की सामग्रियों की आपूर्ति की गयी थी. बाकी निकासी फर्जी आपूर्ति के आधार पर की गयी थी. दिवाकर उसके पास से सारे रजिस्टर लोक लेखा समिति को देने का नाम पर ले लिया करते थे.

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