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भाग गयीं चिटफंड कंपनियां तब लिया कार्रवाई का निर्णय
रांची : झारखंड में कई चिटफंड कंपनियां लोगों को लाखों का मुनाफा देने का लालच देकर करोड़ों की ठगी कर फरार हो चुकी हैं. ऐसा रांची समेत कई जिलाें में हो चुका है. इधर, लोगों का लाखों डूब गया और अब जाकर सरकार ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का निर्णय लिया है. अब […]
रांची : झारखंड में कई चिटफंड कंपनियां लोगों को लाखों का मुनाफा देने का लालच देकर करोड़ों की ठगी कर फरार हो चुकी हैं. ऐसा रांची समेत कई जिलाें में हो चुका है. इधर, लोगों का लाखों डूब गया और अब जाकर सरकार ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का निर्णय लिया है.
अब सभी थाना प्रभारियों की यह बाध्यता होगी कि वे अपने क्षेत्र में जांच कर इस बात का प्रमाण पत्र देंगे कि उनके इलाके में कोई चिटफंड कंपनी अवैध रूप से पैसा संग्रह करने का काम नहीं कर रही है. इसके अलावा उन पर यह दायित्व भी है कि वे चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जानकारी एकत्र कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करें. यह निर्णय 26 दिसंबर, 2017 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हुई बैठक के बाद लिया गया है. कार्रवाई से संबंधित आदेश 16 जनवरी की तिथि में पुलिस अधिकारियों ने सरकार के निर्देश पर जारी कर दिया है.
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में कोलकाता, ओड़िशा सहित दूसरे राज्यों की कई चिटफंड कंपनियां झारखंड के लोगों से करोड़ाें की ठगी कर चुकी है. ठगी करने के बाद कंपनियां अपने ऑफिस बंद कर भाग चुकी है. अपनी मेहनत की कमाई पाने की आस में कुछ निवेशक न्यायालय और थाने में प्राथमिकी दर्ज कर चुके हैं. वहीं कइयों ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीनियर पुलिस अधिकारियों के पास लिखित शिकायत की है. लेकिन पुलिस को इस मामले में सफलता नहीं मिली़
पुलिस को इन बिंदुओं पर मिली है कार्रवाई की जिम्मेदारी : पुलिस मुख्यालय के आइजी प्रोविजन चिटफंड कंपनियों की गतिविधियों को रोकने और कार्रवाई के लिए योजना तैयार कर सभी थानेदारों को देंगे, थाना में होनेवाले चौकीदार परेड के दौरान चिटफंड कंपनियों के क्रियाकलाप के बारे में सूचना एकत्र कर थाना प्रभारियों को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी व सभी थाना प्रभारी को यह दायित्व सौंपा गया है कि वैध लाइसेंसधारी वित्तीय संस्थानों के अलावा अवैध रूप से पैसा जमा करनेवाली चिटफंड कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करे.
केस – एक
सेबी के पास की शिकायत, तब दिया गया जांच का आदेश : कोलकाता की नन बैकिंग कंपनी वारिस फाइनेंस एंड इंवेस्टमेंट लिमिटेड, आर्शदीप प्रोड्यूसर लिमिटेड, वारिस ग्रुप और वारिस फाइनेंस एंड इंटरनेशनल लिमिटेड ने वर्ष 2013 तक रांची में विभिन्न लोगों से निवेश कराने और अधिक मुनाफा देने के नाम पर करोड़ों रुपये जमा कराये़ लेकिन धीरे-धीरे कंपनी बंद हो गयी और इसके लाेग निवशकों का पैसा लेकर भाग निकले. मांडर निवासी धीरजनाथ ठाकुर का कंपनी के पास 20 लाख रुपये बकाया था. तब उसने 19 जनवरी, 2017 को सेबी के पास लिखित शिकायत की. शिकायत के आधार पर सीआइडी के अधिकारियों ने 20 अप्रैल, 2017 को मामले में जांच का आदेश दिया.
केस- दो
कोर्ट से आया शिकायतवाद तब दर्ज हुआ केस :
रांची के सदर थाना क्षेत्र स्थित इमाम कोठी के पास झारखंड और ओड़िशा के कुछ लोगों ने मिल कर लक्ष्मी इनवेस्टमेंट इंडिया नामक चिटफंड कंपनी खोला था़ इस कंपनी ने निवेशकों को अधिक मुनाफा देने का वादा किया था़ अंत में कंपनी निवेशकों का करोड़ों रुपये लेकर भाग गयी. कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ न्यायालय से प्राप्त शिकायतवाद के आधार पर सदर थाना में 13 अगस्त, 2016 को केस दर्ज किया गया. केस में कंपनी के अधिकारियों पर धोखाधड़ी कर आरोप सही पाया गया. लेकिन पुलिस न निवेशकों के रुपये वापस करवा पायी और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई.
केस -तीन
करोड़ों ठग कर फरार हुआ पीएसीए इंडिया प्राइवेट लिमिटेड : हरमू रोड स्थित एक कांप्लेक्स में पीएसीए इंडिया प्राइवेट लिमिटेड वर्ष 2012 तक कई निवेशकों से करोड़ों रुपये वसूलने के बाद फरार हो गयी. इस कंपनी के पास अभी भी रांची सहित दूसरे जिलों के कई निवेशकों के रुपये फंसे हैं.
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