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विवाद: राज्य कृषि विपणन पर्षद के चेयरमैन गणेश गंझू ने की कार्रवाई, मार्केटिंग बोर्ड की 25 जुलाई की बैठक अवैध, सभी निर्णयों को किया गया रद्द

रांची : झारखंड राज्य कृषि विपणन पर्षद (मार्केटिंग बोर्ड) के चेयरमैन गणेश गंझू ने 25 जुलाई को हुई पर्षद की निदेशक मंडल की बैठक को अवैध करार दिया है. साथ ही बैठक में लिये गये सभी निर्णयों को रद्द कर दिया है. यही नहीं, बैठक में लिये गये किसी निर्णय के आलोक में यदि कोई […]

रांची : झारखंड राज्य कृषि विपणन पर्षद (मार्केटिंग बोर्ड) के चेयरमैन गणेश गंझू ने 25 जुलाई को हुई पर्षद की निदेशक मंडल की बैठक को अवैध करार दिया है. साथ ही बैठक में लिये गये सभी निर्णयों को रद्द कर दिया है. यही नहीं, बैठक में लिये गये किसी निर्णय के आलोक में यदि कोई आदेश निर्गत किया गया है, तो उसे भी रद्द करने का आदेश दिया है. इससे संबंधित पत्र बोर्ड के चेयरमैन ने एमडी विमल को लिखा है.
गलत मंशा की ओर करती है इशारा : चेयरमैन ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. एमडी को लिखे पत्र में कहा है कि समय पर बैठक स्थगित करने की सूचना देने के बावजूद नियम विरुद्ध निदेशक मंडल की बैठक अपनी अध्यक्षता में कर ली. यह कार्रवाई आपकी गलत मंशा की ओर इशारा करती है. आपने जान-बूझ कर झारखंड राज्य कृषि उपज बाजार अधिनियम 2000 के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए अपनी अध्यक्षता में अपने निजी स्वार्थों के लिए यह बैठक की, जिसके लिए आप अधिकृत नहीं थे.
कृषक सदस्यों को नहीं दी गयी थी सूचना
चेयरमैन ने लिखा है कि 25 जुलाई की बैठक के लिए कृषक सदस्य के रूप में एक सदस्य को ही सूचना भेजी गयी है. अन्य कृषक सदस्यों को बैठक की सूचना नहीं दी गयी है. इस कारण भी यह बैठक नियमानुकूल नहीं है. साथ ही बैठक में कई एजेंडों पर लिये गये निर्णय को लेकर सवाल उठाया गया है. चेयरमैन ने निदेशक मंडल की अगली बैठक 22 अगस्त को निर्धारित की है. साथ ही सभी को सूचना भेजने का आदेश दिया है.
प्रभात खबर ने प्रकाशित की थी खबर
प्रभात खबर ने इस बैठक को लेकर 28 जुलाई के अंक में चेयरमैन के आदेश के खिलाफ एमडी ने कर ली बैठक शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी. चेयरमैन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है.
आखिर इन पर क्यों मेहरबान है मार्केटिंग बोर्ड
झारखंड राज्य कृषि विपणन पर्षद (मार्केटिंग) में गड़बड़ियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. नियमों को दरकिनार करते हुए कई काम किये जा रहे हैं, लेकिन कोई कुछ नहीं करनेवाला है. यही नहीं बोर्ड के चेयरमैन द्वारा कई बार पत्राचार किये जाने के बावजूद बोर्ड के वरीय अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. सवाल है आखिर मार्केटिंग बोर्ड इन पर इतना मेहरबान क्यों है.
अंतहीन है कहानी : गड़बड़ियों की कहानी अंतहीन है. कोई संविदा अवधि समाप्त होने के बाद काम कर रहा है, तो कोई पद परिवर्तित करा कर काम कर रहा है. यही नहीं कुछ कर्मचारी 15 साल से एक ही जगह पर पदस्थापित हैं. खास बात यह है कि कई काम निदेशक मंडल के अनुमोदन के बिना किये जा रहे हैं.

नहीं हो रही कोई कार्रवाई
गूंजा सिंह को एक वर्ष के लिए नियंत्रक के पद पर संविदा पर रखा गया था. संविदा अवधि समाप्त होने के बाद भी गूंजा सिंह बिना निदेशक मंडल के अनुमाेदन के काम कर रहीं हैं और वेतन पा रही हैं. अनियमित ढंग से कार्य करने को लेकर कई बार सवाल उठाये गये हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
पर्षद (मुख्यालय) में पिछले 15 सालों से रामवृक्ष माली प शंभु शरण सिंह पदस्थापित हैं. इनके कार्यकलाप को लेकर कई आरोप लगे हैं, लेकिन अब भी ये आराम से काम कर रहे हैं, जबकि सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण-पदस्थापन के लिए अधिकतम तीन वर्ष का कार्यकाल निर्धारित है.
सुनीता कुमारी चौरसिया का पदस्थापन कार्मिक विभाग ने प्रबंध निदेशक के सचिव के पद पर किया है, लेकिन बिना चेयरमैन के अनुमोदन के उन्हें पर्षद के सचिव और निदेशक निगरानी का प्रभार दे दिया गया है.
सुरेश कुमार चौधरी की नियुक्ति 2004 में अनुकंपा के आधार पर चतुर्थ श्रेणी में हुई थी. निदेशक मंडल द्वारा प्रस्ताव को अस्वीकृत करने के बाद भी 2009 में प्रबंध निदेशक के स्तर से पद परिवर्तित करते हुए इन्हें तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्त कर दिया गया, जबकि एक बार अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति होने के पश्चात उसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा सकता है.

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