रांची : लूटरों का एक ऐसा गिरोह जो सावन में लूुटमार नहीं करता. लूट कर लायी संपत्ति का 10 प्रतिशत भलाई के कामों में लगाता है. सावन के महीनों में पुजारी और भक्तों की सेवा करता है. गिरोह के सदस्य आसपास के चार जिलों में किसी भी तरह की घटना को अंजाम नहीं दे सकते इसके सख्त नियम हैं और इसका उल्लंघन करने वालों को 2 लाख रूपये का जर्मुाना लगाया जाता है.
ये किसी फिल्म के कहानी की स्क्रिपट नहीं है ये नियम है लूटरोें के खतरनाक कोड़हा गिरोह का. इनके नियम इतने सख्त हैं कि इसका पालन ना करने वालों को गिरोह के बाहर कर दिया जाता है. राजधानी रांची में पिछले कुछ दिनों से इसके कई सदस्य सक्रिय हैं. पिछले दिनों रांची में कई छिनतई की घटनाएं हुईय अपराधी आयुष यादव और् सुमित यादव को गिरफ्तार किया. उनकी गिरफ्तारी के बाद कई राज खुलकर सामने आये. अबतक इन लोगों ने 16 घटनाओं में अपनी संलिप्ता स्वीकार की है.
आप सोच रहे होंगे अगर कोड़हा गिरोह सावन में लूटपाट नहीं करते तो फिर ये क्यों कर रहे थे. सावन माह में सिर्फ वही लोग लूटपाट करते हैं, जो पहले से घर से निकले हुए हैं.कटिहार में बंजारों का पूरी बस्ती बसी हुई है. इसमें शामिल लोग पूरे देश में घूम-घूम कर छिनतई की घटना को अंजाम देते हैं.
एक ऐसा गिरोह जिसने बना रखा है वेलफेयर फंड ट्रस्ट
गिरोह कमाई का 10 प्रतिशत हिस्सा वेलफेयर फंड में रखता है. 15 प्रतिशत चुना हुआ मुखिया रखता है जो अपने लोगों को जेल से निकालने वकील करने में भी खर्च करता है. 10 प्रतिशत पुलिस और मुखबिर बनाने में, नये लोगों को ट्रेनिंग देने में खर्च होता है. 25 परिवार के बीच एक मुखिया होता है जो लूटपाट से मिले पैसों पर निर्भर रहता है. आसपास में चार जिलों में छिनतई नहीं करता जो करता है उसे दो लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ता है.