देश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने मेडिकल की 14000 पीजी की सीटें बढ़ायी हैं. पर राज्य के सबसे बड़े संस्थान रिम्स में सीटों की संख्या बढ़ने के बजाय घटती जा रही हैं. फैकल्टी की संख्या में कमी और रिम्स में निजी जांच एजेंसियों ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. रेडियोलॉजी […]
देश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने मेडिकल की 14000 पीजी की सीटें बढ़ायी हैं. पर राज्य के सबसे बड़े संस्थान रिम्स में सीटों की संख्या बढ़ने के बजाय घटती जा रही हैं. फैकल्टी की संख्या में कमी और रिम्स में निजी जांच एजेंसियों ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. रेडियोलॉजी विभाग इसका जीता-जागता प्रमाण है. रेडियोलॉजी विभाग की चार सीटें घट गयी हैं. इनमें पीजी की एक और डिप्लाेमा की तीन सीटें शामिल हैं.
रांची : मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया (एमसीआइ) ने रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग में डाॅक्टर ऑफ मेडिसिन इन रेडियोलॉजी (पीजी इन रेडियोलॉजी) की एक सीट और डिप्लाेमा इन मेडिकल रेडियाे डाइग्नोसिस (डीएमआरडी) की तीन सीटें घटा दी हैं. इसकी सूचना एमसीआइ की बेवसाइट जारी की जा चुकी है.
एमसीआइ ने पीजी व डीएमआरडी के विषयों को डीरिकोग्नाइज्ड (अस्वीकृत) भी कर दिया है. सीटों के अस्वीकृत होने से रिम्स में पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थियों की परेशानी बढ़ गयी है. एमसीआइ एमबीबीएस की 150 सीटों के मद्देनजर दो माह पहले निरीक्षण करने आयी थी. तब रेडियोलॉजी में जांच की संख्या कम होने पर सवाल उठा था. माना जा रहा है कि टीम ने इसको मुद्दा बनाते हुए सीटों की संख्या घटाने की अनुशंसा कर दी. हालांकि, विभाग में एक असिस्टेंट प्रोफेसर की संख्या भी कम है.
विद्यार्थियों को भविष्य की चिंता
रिम्स के विद्यार्थियों का कहना है कि तीन साल की पढ़ाई के बाद अब उनका भविष्य खतरे में है. विद्यार्थियों का मेडिकल कैरियर दावं पर लग गया है. पीजी के अंतिम वर्ष के विद्यार्थी ने बताया कि उनका चयन ऑल इंडिया कोटा से हुआ है. तीन साल की पढ़ाई करते समय कोर्स रिकोग्नाइज्ड था, अब जब कोर्स पूरा होने वाला है, तो डिरिकोग्नाइज्ड हो गया है. एेसे में हम अपने राज्य में जाकर नौकरी या प्रैक्टिस नहीं कर पायेंगे.
नामांकन के समय कोर्स था स्वीकृत, अब हो गया अस्वीकृत
रेडियोलॉजी विभाग में इस साल नामांकन लेनेवाले विद्यार्थियों की मुश्किलें भी बढ़ गयी हैं. पांच मई को नामांकन लेते समय कोर्स की मान्यता थी, लेकिन एक माह भी नहीं गुजारा कि कोर्स की मान्यता समाप्त हो गयी है. ऐसे में विद्यार्थियों का भविष्य फंस गया है. इस साल नामांकन लेनेवाले विद्यार्थियों का कहना है कि ऑल इंडिया लेबल पर 250 रैंक आया था. रिम्स नहीं तो किसी अन्य कॉलेज में नामांकन मिल जाता, लेकिन कॉलेज का नाम सुन कर नामांकन लिया था.
निजी जांच एजेंसियों ने एेसे बढ़ायी मुश्किल
रेडियोलॉजी में पीजी व डिप्लोमा की सीटों के घटने की मुख्य वजह रिम्स में निजी जांच एजेंसियों का सेंटर खोलना है. निजी जांच एजेंसी का सेंटर खुल जाने से रिम्स में हाेनेवाली जांच की संख्या घट गयी है. सूत्र बताते हैं कि जांच की संख्या में करीब 25 फीसदी की कमी हुई है.
पीजी में एक सीट और डिप्लोमा में तीन सीटें घट गयी हैं. निजी जांच एजेंसी के यहां जांच होने से हमारी जांच घट गयी है. एमसीआइ ने निरीक्षण के दौरान अपनी जांचों की संख्या को बढ़ाने का निर्देश दिया था.
डॉ समीर टोप्पो, विभागाध्यक्ष रेडियोलॉजी