:::बहनों ने मिट्टी से भरे पात्र में धान, जौ, गेहूं और कांसी का बीज बोया है. :::गांव की युवतियां ढोल-मांदर की थाप पर गा रही हैं पारंपरिक गीत ::::तीन सितंबर को पूजा की रात करम डाली की स्थापना होगी. धनेश्वर प्रसाद / प्रदीप यादव कुजू. झारखंड की परंपरा, संस्कृति और प्रकृति का प्रतीक करम पर्व पूरे उल्लास के साथ मनाया जायेगा. करम पूजा की तैयारी के दौरान गांव की बहनों ने मिट्टी से भरे पात्रों में धान, जौ, गेहूं और कांसी का बीज बोया है. कुछ दिन में यह अंकुरित होकर हरा-भरा हो जायेगा. इन पौधों को देख कर ग्रामीणों के चेहरों पर खुशी की झलक दिखायी देती है. करम पर्व के बारे में महिलाओं ने बताया कि कांसी का अंकुरण हमारी हरियाली और फसल की समृद्धि का प्रतीक है. बहन अपने भाइयों की लंबी उम्र और परिवार की सुख-शांति की कामना करते हुए करम डाली को अर्पित करती हैं. महिलाओं ने बताया कि करम पर्व केवल पूजा नहीं है, यह हमारी संस्कृति और कृषि जीवन की पहचान है. कांसी का अंकुरण जितना अच्छा निकलता है, उतनी ही अच्छी फसल और समृद्धि की संभावना मानी जाती है. करम पर्व की तैयारी को लेकर गांव की युवतियों ने ढोल-मांदर की थाप पर पारंपरिक गीत शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि करम पर्व सामूहिकता और भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती का त्योहार है. तीन सितंबर को पूजा की रात करम डाली की स्थापना होगी. उस समय विशेष अनुष्ठान किया जायेगा. करम देवता को अर्पित किया जाता है कांसी का अंकुरण : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कांसी का अंकुरण प्रकृति देवी और करम देवता को अर्पित किया जाता है. यह भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है. इसमें बहन कांसी की हरियाली देख कर भाइयों की लंबी उम्र और जीवन में हरियाली की कामना करती हैं. पहले किसान फसल का लगाते थे अनुमान : वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार, कांसी, जौ और धान के बीजों को अंकुरित करने की परंपरा मिट्टी की उर्वरता और बीज की क्षमता को परखने का तरीका भी है. प्राचीन समय में किसान इन्हीं अंकुरण को देख कर अनुमान लगाते थे कि आने वाली फसल कैसी होगी. इस परंपरा के कारण प्रकृति संरक्षण और कृषि आधारित जीवनशैली दोनों को बढ़ावा मिलता है. युवतियों ने बताया करम पर्व का महत्व : करम पर्व को लेकर पलक कुमारी, तनु कुमारी, शारदा कुमारी व भारती कुमारी ने कहा कि वह लोग करम पूजा मुख्य रूप से भाइयों की लंबी आयु, समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए करती हैं. यह एक फसल उत्सव है, जो शक्ति, यौवन और युवावस्था के देवता करम देवता की पूजा के लिए समर्पित है. इस पर्व में करम वृक्ष की शाखाओं की पूजा की जाती है. कन्याएं ही जावा डाली (एक टोकरी में अंकुरित बीज) को उठाती हैं. यह धरती की उर्वरता और नये जीवन का प्रतीक हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

