: : यह राशि बोकारो डीसी ऑफिस के नजारत में कार्यरत डीसीएलआर कर्मचारी की है : आयकर विभाग :: राशि जमीन बिक्री से प्राप्त हुई है, एग्रीमेंट भी किया प्रस्तुत : कर्मचारी गोला. गोला थाना क्षेत्र में पुलिस ने वाहन जांच अभियान के दौरान रांची से बोकारो की ओर जा रही कार से नोटों से भरा कार्टन बरामद किया. जब कार को रोका गया, तो उसमें दो लोग सवार थे. पुलिस को शक हुआ, तो तलाशी लेने पर कार्टन में राशि मिली. गिनती में यह राशि 51 लाख हुई. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आयकर विभाग की टीम मंगलवार को गोला थाना पहुंची. टीम बरामद रुपये की गिनती की. नोट गिनने वाली मशीन से मिलान करने के बाद आयकर विभाग के अधिकारी आलोक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि जब्त रकम 51 लाख है. जमीन बिक्री का दावा, लेकिन एग्रीमेंट संदिग्ध : आयकर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह राशि बोकारो डीसी ऑफिस के नजारत में कार्यरत डीसीएलआर कर्मचारी राजकुमार पांडेय की बतायी जा रही है. वहीं, राजकुमार पांडेय ने दावा किया है कि यह राशि जमीन बिक्री से प्राप्त हुई है. इसके समर्थन में उन्होंने एग्रीमेंट भी प्रस्तुत किया. हालांकि, आयकर विभाग की टीम ने उस एग्रीमेंट को वैध नहीं माना. अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति केवल दो लाख रुपये तक ही नकद अपने साथ ले जा सकता है. इससे अधिक राशि कैश के रूप में ले जाना गैरकानूनी है. जांच में जुटा आयकर विभाग : आयकर विभाग फिलहाल यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि इतनी बड़ी राशि वास्तव में कहां से आयी और इसका उपयोग कहां होना था. यदि राशि का स्रोत सही पाया जाता है, तो बरामद राशि पर टैक्स जमा करना होगा. वहीं, राशि के स्रोत की सही जानकारी नहीं मिलने की स्थिति में संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित है. इस संबंध में थाना प्रभारी अभिषेक प्रताप ने बताया कि यह पूरी कार्रवाई 28 अगस्त रात की है. वाहन जांच के दौरान कार (जेएच09बीएफ-8122) को रोका गया. कार में बैठे लोगों ने पहले ही बता दिया था कि कार्टन में 51 लाख रुपये हैं. उन्होंने दावा किया था कि यह राशि जमीन बिक्री की है. प्रारंभिक पूछताछ के बाद कार को छोड़ दिया गया, लेकिन बरामद राशि की सूचना तत्काल आयकर विभाग को दे दी गयी थी. प्रशासन की सख्ती : पुलिस और आयकर विभाग की संयुक्त कार्रवाई ने अवैध लेन-देन और काले धन पर नकेल कसने का संदेश दिया है. अधिकारी कह रहे हैं कि जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि यह राशि वैध है या अवैध. इतना तय है कि यदि राशि का स्रोत संदेहास्पद पाया गया, तो इसमें शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. फिलहाल, आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट का इंतजार है. उससे यह साफ होगा कि यह राशि काले धन का हिस्सा है या जमीन बिक्री की वास्तविक राशि है.
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