झारखंड के यादों को जीवन भर याद रखूंगी : एला विट्स चितरपुर. झारखंड की जैव विविधता, जनजातीय जीवनशैली और प्राकृतिक धरोहरों की खासियत अब अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविदों को भी आकर्षित करने लगी है. लंदन की पर्यावरणविद एला विट्स ने झारखंड का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने राज्य के प्रख्यात पक्षी विशेषज्ञ पन्नालाल महतो के साथ रामगढ़ जिला के इचातु और रांची जिला के सिकिदिरी जंगलों में बर्डवॉचिंग और ट्रैकिंग का विशेष अनुभव लिया. एला विट्स अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी से पर्यावरण प्रबंधन में उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुकी हैं. वर्तमान में लंदन की प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत हैं. भारत भ्रमण पर निकली एला को भारतीय भूगोल, जैव विविधता और जनजातीय जीवन के प्रति विशेष रुचि है. इस सफर में उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं रांची निवासी बिपुल मयंक. वह येल यूनिवर्सिटी में एला की सहपाठी रह चुके हैं. इससे पहले एला ने राजस्थान के पाली जिले स्थित जवाई तेंदुआ अभयारण्य में सफारी का आनंद लिया. फिर कर्नाटक के बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में बाघों को देखने का दुर्लभ अनुभव प्राप्त किया. जब वह झारखंड पहुंचीं, तो यहां की हरियाली, जंगलों की शांति और पक्षियों की विविधता ने उन्हें विशेष रूप से प्रभावित किया. उनके लिए अविस्मरणीय है अनुभव : झारखंड के बर्डमैन के नाम से विख्यात कुंदरुकला निवासी पन्नालाल महतो ने एला को सिकिदिरी और रामगढ़ के इचातु जंगल में न केवल बर्डवॉचिंग करायी, बल्कि एक लघु ट्रैकिंग ट्रेल पर भी ले गये. एला ने बताया कि यह अनुभव उनके लिए अविस्मरणीय रहा. उन्होंने कहा कि खासकर जब पन्नालाल महतो ने पक्षियों की हूबहू आवाजें निकालकर उन्हें जंगल की ओर बुलाया, तो वह आश्चर्यचकित रह गयी. एला विट्स ने रामगढ़ के दोहाकातू पंचायत के बिरहोर जनजाति के लोगों से मुलाकात की. उन्होंने बिरहोरों की जीवनशैली, पारंपरिक रहन-सहन, जंगल पर निर्भरता और सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी प्राप्त की. उन्होंने कहा कि वे झारखंड में बिताये इन पलों को जीवनभर याद रखेंगी और भविष्य में यहां पुनः आना चाहेंगी.
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