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राष्ट्रीय एकता, प्रेम व बलिदान का प्रतीक है वंदे मातरम

राष्ट्रीय एकता, प्रेम व बलिदान का प्रतीक है वंदे मातरम

श्री अग्रसेन स्कूल में हुआ वंदे मातरम का सामूहिक गायन. भुरकुंडा. भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में श्री अग्रसेन स्कूल भुरकुंडा में शुक्रवार को शिक्षकों व विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से वंदे मातरम का गायन किया. इससे पूरा विद्यालय परिसर में देशभक्ति का माहौल छा गया. प्राचार्य विवेक प्रधान ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है. उसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान असंख्य वीरों को प्रेरणा दी. यह गीत राष्ट्र की एकता, मातृभूमि के प्रति प्रेम व बलिदान की भावना का प्रतीक है. शिक्षिका साधना सिन्हा ने विद्यार्थियों को वंदे मातरम की रचना व उसके ऐतिहासिक महत्व की जानकारी दी. बताया गया कि यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1875 में लिखा गया था. उनकी प्रसिद्ध कृति आनंदमठ में प्रकाशित हुई थी. 1896 में इसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार गाया गया था. सभी ने देश की एकता, अखंडता व समृद्धि के लिए योगदान देने का संकल्प लिया. इस अवसर पर नाजिया तौहिद, सोनम खातून, वंदना कुमारी, कुमुल कुमार, अरविंद दुबे, संतोष कुमार, श्रीपर्णा गुप्ता, सलोनी राणा, प्रोन्नति मुखर्जी, नीलू श्रीवास्तव, लीलेश्वर पांडेय, मम्पी पॉल, बसंत कुमार, एचके सिंह, अंकित विश्वकर्मा, दीपशिखा कुमारी उपस्थित थे.

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