भुरकुंडा : भुरकुंडा कोलियरी की दोनों भूमिगत खदान हाथीदाड़ी व बांसगढ़ा से कोयले का उत्पादन तीन पालियों तक ठप रहा. हाथीदाड़ी में खदान के अंदर टगर मशीन के खराब हो जाने के कारण कोयला उत्पादन ठप हो गया. मंगलवार शाम टगर की मरम्मत कर उत्पादन शुरू किया गया. यहां लगभग डेढ़ सौ टन कोयले का उत्पादन प्रभावित रहा. दूसरी ओर, टिपलर के टूट जाने के कारण बांसगढ़ा भूमिगत खदान का उत्पादन बाधित रहा. कामगारों ने बताया कि सोमवार द्वितीय पाली में ट्रॉली को खाली करने के दौरान टिपलर टूट गया था.
इसके कारण यहां लगातार तीन पालियों में लगभग 250 टन कोयले का उत्पादन बाधित रहा. बांसगढ़ा खदान में सोमवार सुबह शुरू हुए टिपलर की मरम्मत का काम मंगलवार शाम तक पूरा नहीं हो सका था. बताया गया कि यदि मरम्मत का काम शीघ्र पूरा नहीं हुआ, तो कोयला उत्पादन के प्रभावित रहने का आंकड़ा और बढ़ सकता है. दूसरी ओर, खदान प्रबंधन ने उत्पादन प्रभावित नहीं रहने का दावा किया है.
मेंटेनेंस की कमी के कारण आयी खराबी
बताया गया कि खदान में लगी मशीनों का लगातार मेंटेनेंस किया जाता है. इस काम को इएंडएम विभाग के कर्मी अक्सर संडे को करते हैं, लेकिन प्रबंधन द्वारा संडे ड्यूटी में की जा रही कटौती के विरोध में कर्मियों ने संडे ड्यूटी करने से इनकार कर दिया है. इसके कारण मशीनों का मेंटेनेंस नहीं हो सका. मेंटेनेंस के अभाव में मशीनों की खराबी सामने आयी है.
क्या है टगर और टिपलर
कामगारों ने बताया कि टगर खदान के अंदर होता है. यह खदान के अंदर कोयले से लदी ट्रॉलियों को खींच कर मुख्य ट्रैक तक लाता है. बाद में खदान के बाहर बने हॉलेज के जरिये ट्रॉलियों को खदान से बाहर खींच लिया जाता है. ट्रॉलियों के खदान से बाहर निकलने के बाद टिपलर में ही उसे पलट कर खाली किया जाता है.