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अवर सचिव ने मांगी जलस्रोतों को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर हुई कार्रवाई की रिपोर्ट

हाइकोर्ट ने शहरी क्षेत्र के सभी पुराने जलस्रोतों को प्रदूषण से बचाने व अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर आदेश निर्गत किया था.

मेदिनीनगर.

हाइकोर्ट ने शहरी क्षेत्र के सभी पुराने जलस्रोतों को प्रदूषण से बचाने व अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर आदेश निर्गत किया था. अप्रैल 2023 में हाइकोर्ट से पारित इस आदेश के आलोक में नगर विकास एवं आवास विभाग ने नगर निकायों को पत्र भेजकर जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने व अतिक्रमण मुक्त कराने का निर्देश दिया था. इसका अनुपालन हुआ या नहीं, इसे लेकर राज्य सरकार गंभीर है. सरकार के अवर सचिव अतुल कुमार ने इस मामले में हुई कार्रवाई की अद्यतन रिपोर्ट 26 मई तक नगर आयुक्त से मांगी है. शहरी क्षेत्र के सभी जलस्रोतों के मूल नक्शे के आधार पर आकार चिह्नित करते हुए जलस्रोत की भूमि अतिक्रमण मुक्त कराने सहित अन्य मामलों में की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गयी है. मेदिनीनगर नगर निगम क्षेत्र के तालाबों व नदी को प्रदूषित होने से बचाने और अतिक्रमण मुक्त कराने के प्रति निगम प्रशासन हमेशा उदासीन रहा. यही वजह है कि पलामू की लाइफ लाइन कही जाने वाली कोयल नदी की जमीन पर कई लोगों ने अतिक्रमण कर मकान बना लिया है. वहीं नदी को कचरा व मिट्टी से भरकर वाहन पार्किंग के रूप में उपयोग किया जा रहा है. शहर के जवाहर नवोदय विद्यालय के समीप ट्रांसपोर्ट संचालक ने कोयल नदी में कचरा व मिट्टी भरकर पार्किंग स्थल बना दिया है. इधर शहर के बड़ा तालाब का एक हिस्सा मिनी पार्किंग के रूप में उपयोग किया जा रहा है. तालाब में कूड़े-कचरे का ढेर लगा हुआ है. निजी बस पड़ाव से साहित्य समाज चौक की ओर जाने के लिए रास्ते के दोनों तरफ तालाब का हिस्सा है. आसपास के होटल संचालक व अन्य दुकानदारों द्वारा तालाब में ही कूड़ा-कचरा डंप किया जाता है. जिस कारण तालाब के एक हिस्से का अस्तित्व समाप्त हो रहा है. अब उस जगह का उपयोग मिनी स्टैंड के रूप में हो रहा है. जहां जीप, मिनी बस व टेंपो खड़ा किया जाता है. आसपास कई लोगों ने गुमटी भी लगा रखी है.

करोड़ों खर्च, पर नहीं हुआ तालाब का गहरीकरण :

शहर का बड़ा तालाब जलस्रोत का प्रमुख माध्यम है. इस तालाब में हमेशा पानी रहता है. इस वजह से आसपास का जल स्तर बरकरार रहता है. 16 एकड़ से अधिक क्षेत्र में यह तालाब तीन हिस्सों में फैला हुआ है. कुछ वर्ष पहले निगम प्रशासन ने करीब साढ़े आठ करोड़ की लागत से तालाब का गहरीकरण, सुंदरीकरण की योजना स्वीकृत करायी थी. इससे तालाब के बड़े हिस्से का सुंदरीकरण किया गया. लेकिन उसका गहरीकरण नहीं हुआ. इसके अलावा तालाब के दो अन्य हिस्सों की सफाई नहीं करायी गयी. लोगों का कहना था कि गहरीकरण कराये जाने से तालाब की सफाई भी हो जाती और अतिक्रमण भी हट जाता.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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