मेदिनीनगर. राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने पलामू जिले के बर्खास्त 250 चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का मामला कैबिनेट में उठाया. वित्त मंत्री श्री किशोर ने सुझाव दिया है कि झारखंड के चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को सेवा से मुक्त किये जाने के आलोक में पारित न्यायादेश के मामले में राज्य सरकार को सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दाखिल करना चाहिए. इस मामले में जब तक सर्वोच्च न्यायालय का आदेश नहीं आता है, तो पलामू जिले के बर्खास्त सभी 250 चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को पुनः सेवा में रहने दिया जाये. मंत्री श्री किशोर ने बताया कि इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के मुख्य सचिव अलका तिवारी को समीक्षा याचिका दाखिल करने के लिए वैधानिक प्रक्रिया अपनाने का निर्देश दिया. मंत्री ने कहा कि राज्य के लगभग सभी जिलों के लगभग छह हजार चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति विज्ञापन के आलोक में की गयी थी. सर्वोच्च न्यायालय के पारित न्यायादेश के कारण सभी छह हजार कर्मचारी सेवा से बर्खास्त हो जायेंगे. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन सिर्फ पलामू जिले में किया गया है. जबकि 23 अन्य जिलों में अभी तक भी चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी सेवा में बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव द्वारा बताया गया है कि कार्मिक विभाग के अधिकारियों से बात कर जल्द कार्रवाई की जायेगी. मंत्री परिषद की बैठक में वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद डीसी पलामू ने 24 फरवरी 2025 को सभी 250 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की सेवा बर्खास्त कर दी, जबकि सभी चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी डीसी कार्यालय पलामू के प्रकाशित विज्ञापन के आलोक में नियुक्त किये गये हैं. श्री किशोर ने मंत्री परिषद को बताया कि विज्ञापन से नियुक्त वैसे कर्मी, जिनकी मृत्यु सेवा काल में हो जाने के कारण अनुकंपा के आधार पर आश्रितों को दी गयी नियुक्ति को भी रद्द कर दिया गया है.
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