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छह वर्षों में भी नहीं हुआ 500 बेड के अस्पताल का निर्माण

430 करोड़ की लागत से किया जा रहा है निर्माण, वर्ष 2023 तक करना था पूरा

430 करोड़ की लागत से किया जा रहा है निर्माण, वर्ष 2023 तक करना था पूरा शिवेंद्र कुमार, मेदिनीनगर पोखराहा खुर्द स्थित मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज का 500 बेड वाला अस्पताल भवन छह वर्षों बाद भी पूरा नहीं हो सका है. 430 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन यह अस्पताल भवन वर्ष 2023 तक तैयार होना था, लेकिन निर्माण कार्य की धीमी गति के कारण अब भी अधूरा है. झारखंड के अन्य मेडिकल कॉलेजों में जहां 2019 में ही अस्पताल भवन निर्माण हो चुका है, वहीं पलामू में यह परियोजना लगातार विलंब का शिकार है. मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2019 से शिक्षा शुरू हुई है और अब तक पांच सत्रों में छात्रों का नामांकन पूरा हो चुका है. फिलहाल कॉलेज में 500 एमबीबीएस विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. अस्पताल भवन तैयार नहीं होने के कारण छात्रों को प्रैक्टिकल के लिए पांच किलोमीटर दूर सदर अस्पताल जाना पड़ता है, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है. सदर अस्पताल में मरीजों का बोझ बढ़ा अस्पताल नहीं बनने से सदर अस्पताल पर मरीजों का बोझ काफी बढ़ गया है. प्रतिदिन 700-800 मरीज पहुंचते हैं. बेड की कमी के कारण कई मरीजों को जमीन पर लेटकर इलाज कराना पड़ रहा है. गंभीर मरीजों को मामूली समस्या में भी रांची रेफर किया जा रहा है, जिससे रास्ते में कई बार मरीजों की मौत तक हो जाती है. 25 एकड़ जमीन में बन रहा कॉलेज, 5 एकड़ में अस्पताल मेडिकल कॉलेज के लिए कुल 25 एकड़ जमीन आवंटित की गयी थी, जो फॉरेस्ट लैंड थी. पहले चरण में 12.5 एकड़ और बाद में शेष 12.5 एकड़ जमीन का भी फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिल चुका है. 500 बेड के अस्पताल के लिए कॉलेज परिसर के अंदर ही पांच एकड़ भूमि निर्धारित है. जून तक ओपीडी तैयार करने का दावा निर्माण कार्य कर रही शापुरजी कंपनी के प्रोजेक्ट इंचार्ज रतन कुमार ने बताया कि जून माह तक ओपीडी तैयार कर हैंडओवर कर दी जायेगी. उन्होंने बताया कि पलामू में बालू की भारी किल्लत निर्माण कार्य को प्रभावित कर रही है. बिहार से बालू मंगानी पड़ती है, जिसकी एक हाइवा की कीमत 70 हजार रुपये तक पड़ती है और प्रतिदिन मात्र एक ही हाइवा उपलब्ध हो पाती है. निर्माण कार्य के छह वर्ष बीतने के बाद भी अस्पताल अधूरा होना आम जनता, मरीजों और मेडिकल विद्यार्थियों के लिए बड़ी समस्या बन चुका है.

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