मेदिनीनगर. प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी व मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक झारखंड ने पलामू व गढ़वा से एक हजार नीलगाय को पकड़ कर महुआडांड़ प्रक्षेत्र में भेजने का निर्देश दिया है. बोमा तकनीक से ट्रेंकुलाइज कर महुआडांड़ क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाये. प्रथम चरण में ट्रेंकुलाइज की गयी नील गायों का शत-प्रतिशत स्थानांतरण महुआडांड़ में किया गया है, जो सफल रहा है. इसकी सफलता के बाद ही दूसरे चरण की कार्रवाई शुरू की जायेगी. ट्रेंकुलाइज व स्थानांतरण तनाव मुक्त वातावरण में किया जायेगा. मालूम हो की नीलगाय से पलामू व गढ़वा के किसान परेशान हैं. ये खेती को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रही हैं. जिसके कारण किसानों ने खेती करना छोड़ दिया है. नीलगाय के आतंक से सबसे अधिक चैनपुर, पाटन, मोहम्मदगंज, उंटारी, विश्रामपुर, पड़वा प्रखंड सहित अन्य क्षेत्र के किसान परेशान हैं. नीलगाय फसलों को रौंद देती हैं व तैयार फसल को खा जाती हैं. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. सड़क पार करने के क्रम में कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गये हैं, जिसमें कई लोगों की जान भी चली गयी है. खास कर सड़क पार करने के क्रम में नीलगाय बाइक चालक से टकरा जाती है, जिसके कारण घटना स्थल पर मौत भी हो चुकी है. जंगली क्षेत्र में पानी व भोजन की व्यवस्था नहीं होने से गांव की ओर रुख कर जा रहे हैं. बताया जाता है कि गुल्लर, बरगद व पीपल जैसे पेड़ों में यदि फल लगता है, तो जंगली जानवर नीलगाय व बंदर जंगल में ही रहते हैं. पानी की कमी के कारण बंदर व नील गाय शहर व गांव की ओर आने लगे हैं.
जंगल में किया जा रहा है सर्वे, छोटे-छोटे कैनाल व बनेंगे चेक डैमः डीएफओ
डीएफओ सत्यम कुमार ने बताया कि विभाग के पास अपना कोई वेटरनरी डॉक्टर नहीं है. जिस कारण नीलगायों को पकड़ कर भेजने में परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि जंगल में सर्वे किया जा रहा है. पानी के लिए छोटे-छोटे कैनाल व चेक डैम बनाये जायेंगे. जिससे घास व अन्य पौधों में बढ़ोत्तरी होगी, तो नीलगाय व बंदर जंगल में रहेंगे. पानी नहीं रहने के करण नीलगाय जंगल से बाहर चले जाते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है