पलामू कोहरा व शीतलहर की चपेट में प्रतिनिधि, मेदिनीनगर पलामू जिले में कोहरा और शीतलहर के कारण कड़ाके की ठंड पड़ रही है. पूरे दिन कनकनी से लोग परेशान रहे. दिन-प्रतिदिन तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है और जिले का न्यूनतम तापमान छह डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. उत्तरी व पछुआ हवा चलने से ठंड और कनकनी में और बढ़ोतरी हुई है, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. पिछले करीब एक सप्ताह से जिले में लगातार कोहरा और शीतलहर का प्रकोप जारी है. पूरे दिन कुहासा छाया रहा और ठंडी हवाएं चलती रहीं. घर से बाहर निकलने वाले लोग ठंड से ठिठुरते नजर आए. शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में ठंड का असर साफ दिख रहा है. खासकर बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं. ठंड में स्कूल जाने को मजबूर बच्चे कड़ाके की ठंड का सबसे ज्यादा असर स्कूली बच्चों पर पड़ रहा है. सरकारी विद्यालयों का संचालन सुबह नौ बजे से होता है, जबकि निजी विद्यालयों में पढ़ाई सुबह सात बजे से शुरू हो जाती है. निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सुबह छह बजे ही घर से निकलना पड़ता है. घना कोहरा और शीतलहर के बीच स्कूल जाना बच्चों के लिए परेशानी भरा साबित हो रहा है. शहरी क्षेत्रों में सुबह छह बजे से ही विभिन्न स्कूलों की बसें स्टॉपेज पर पहुंचने लगती हैं. इस दौरान अभिभावक भी अपने छोटे बच्चों को लेकर ठंड में बस स्टॉपेज पर खड़े रहने को मजबूर हैं. कोहरा और शीतलहर के बावजूद समय पर स्कूल पहुंचना बच्चों और अभिभावकों की मजबूरी बन गयी है. येलो अलर्ट के बाद भी समय में बदलाव नहीं मौसम विभाग ने कोहरा और शीतलहर को देखते हुए येलो अलर्ट जारी किया है. इसके बावजूद निजी विद्यालयों के समय में कोई बदलाव नहीं किया गया है. तापमान में लगातार गिरावट और कड़ाके की ठंड के बीच छोटे बच्चों का सुबह-सुबह स्कूल जाना जोखिम भरा साबित हो रहा है, लेकिन इस ओर न तो निजी विद्यालय प्रबंधन और न ही प्रशासन गंभीर नजर आ रहा है. ठंड में अभिभावक व बच्चों की परेशानी समझे प्रशासन घने कोहरे और शीतलहर के बढ़ते प्रकोप के कारण कई बच्चे बीमार भी पड़ रहे हैं. ठंड लगने से उनकी समस्याएं बढ़ गयी हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकारी और निजी दोनों विद्यालय अपने निर्धारित समय पर संचालित हो रहे हैं. अभिभावक नागेंद्रनाथ पाठक, वैजनाथ बैठा, कन्हैया दुबे और अमृता सिंह का कहना है कि बच्चों का भविष्य संवारने के लिए पढ़ाई जरूरी है, लेकिन उससे ज्यादा जरूरी उनका स्वास्थ्य है. जब बच्चे स्वस्थ रहेंगे, तभी वे बेहतर पढ़ाई कर सकेंगे. अभिभावकों ने प्रशासन से मांग की है कि ठंड को देखते हुए निजी और सरकारी विद्यालयों की समय-सारिणी में बदलाव किया जाये, ताकि बच्चों को राहत मिल सके.
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