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1971 में रांची महाधर्म प्रांत से अलग बना था डालटनगंज धर्म प्रांत

चर्चों का इतिहास

चर्चों का इतिहास

प्रतिनिधि, मेदिनीनगर

पलामू प्रमंडल में रोमन कैथोलिक के चर्च का इतिहास काफी पुराना है. बताया जाता है कि 1930 के दशक में ईसाइ मिशनरियों का विदेशी पुरोहित कोलकोता से रांची होते हुए डालटनगंज आते थे. मिशनरी के सेवा कार्यों को लेकर पलामू प्रमंडल के कई इलाकों में विदेशी पुरोहित भ्रमण करते थे. इस दौरान डालटनगंज,बरवाडीह, छिपादोहर सहित कई इलाकों में भ्रमण कर गरीब-असहाय लोगों की सेवा करते थे. इसी क्रम में रेलवे स्टेशन के आसपास आश्रम के योग्य जमीन की तलाश भी करते थे. बताया जाता है कि विदेशी पुरोहितों ने छिपादोहर, बरवाडीह, डालटनगंज के आसपास आश्रम के लिए जमीन की खोज किया. कुछ वर्षों के बाद वहां आश्रम खोला गया और वही से क्षेत्र में सेवा कार्य व धार्मिक गतिविधियां संचालित की जाने लगी.इससे पहले विदेशी पुरोहित डालटनगंज में किराये की मकान में रहकर गतिविधियां संचालित करते थे. ब्रिटिश शासनकाल के 1945 ईस्वी में डालटनगंज रेलवे स्टेशन के आसपास फादर डिमोल्डर ने शांति की महारानी गिरिजाघर की नींव रखी. इसके प्रथम पुरोहित फादर सबालिस्टियन थे. इन्हीं की देखरेख में गिरिजा घर का संचालन शुरू हुआ. उस समय ईसाई धर्मलंबियों की संख्या काफी कम थी. विदेशी पुरोहितों ने पलामू प्रमंडल के जिन रेलवे स्टेशनों के आसपास जमीन तलाश किया था, वहां 1950 के दशक में गिरिजा घर की स्थापना की गयी.शांति की महारानी गिरिजा घर ईसाई धर्मावलंबियों के आस्था और पलामू प्रमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में ईसाई मिशनरी की सेवा व धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बन गया. यहां से प्रमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजिक सेवा के साथ-साथ धार्मिक आस्था का प्रसार होने लगा. रोमन कैथोलिक का यह क्षेत्र पूर्व में रांची महाधर्मप्रांत के अधीन था. 1971 में रांची महाधर्मप्रांत से अलग होकर डालटनगंज धर्मप्रांत बना. इसके प्रथम विशप फादर वी साइपन को बनाया गया. उनकी देखरेख में डालटनगंज धर्मप्रांत क्षेत्र में धार्मिक व सेवा कार्य की गतिविधियां तेजी से संचालित होने लगी. फिलहाल इस धर्मप्रांत के अधीन 23 पल्ली व दो दर्जन से अधिक शिक्षा व स्वास्थ्य केंद्र संचालित है. डालटनगंज के द्वितीय धर्माध्यक्ष चालर्स सोरेंग एसजे ने 31 मई 1994 को शांति की महारानी गिरिजा घर के नये भवन निर्माण की आधारशिला रखी. बेल्जियम के ईसाई धर्मावलंबियों के सहयोग से इस गिरिजा घर का निर्माण कार्य पूरा हुआ. विशप गेब्रियल कुजुर एसजे ने 11 जनवरी 1998 को इस गिरिजाघर के नये भवन का उदघाटन किया.इसी भवन में मसीही विश्वासियों के द्वारा प्रार्थना, उपासना व आराधना किया जाता है. वर्तमान समय में इस गिरिजाघर के पल्ली पुरोहित क्रिस्टोफर डुंगडुंग है.डालटनगंज धर्मप्रांत के विशप थियोडोर मसकरेनहस एसजे की देखरेख में गतिविधियां चल रही है.

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