हुसैनाबाद. अनुमंडल क्षेत्र के जपला सीमेंट फैक्ट्री में करीब 100 वर्षो से दुर्गा पूजा का आयोजन होते आ रहा है. यहां के दुर्गा पूजा का अलग ही महत्व है. जपला सीमेंट फैक्ट्री की स्थापना ब्रिटिश शासन काल में 1922 ई में हुई थी. तत्कालीन फैक्ट्री प्रबंधक चंदानी साहब और बंगाली परिवार के लोगों ने बाबू लाइन में 1925 से दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी.लेकिन फैक्ट्री बंद होने के बाद भी स्थानीय लोग पूजा आयोजन की परंपरा को कायम रखे हुए हैं. पूर्व में दुर्गा पूजा बंगाली विधि-विधान से किया जाता था. पूजा के लिए जपला सीमेंट फैक्ट्री में कार्यरत ऑफिसर, स्टॉफ, मजदूरों का एक दिन का मजदूरी मां दुर्गा पूजा में सहयोग करते थे. यहां की पूजा को देखने के लिए आसपास के दर्जनों गांव के अलावा बंगाल से लोग इस पूजा में पहुंचते थे. उस समय फैक्ट्री के बाबू लाइन आवासीय परिसर में अधिकांश ऑफिसर और स्टॉफ बंगाली परिवार के लोग रहते थे. दुर्गा पूजा हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र के कुछ ही जगहों पर ही आयोजित की जाती थी. इसलिए फैक्ट्री की पूजा को देखने के लिए काफी भीड़ हुआ करती थी. हालांकि आज दुर्गा पूजा दर्जनों जगहों पर आयोजित की जा रही है. देवरी कला के बाजार के 77 वर्षीय लालमोहन गुप्ता ने बताया कि दुर्गा पूजा के पूर्व एक अलग माहौल देखने को मिलता था. पूजा शुरू होने के पूर्व बंगाल से पूजा अनुष्ठान कराने के लिए कोलकाता से पंडित जी आते थे.नौ दिनों तक पूजा के अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा स्थानीय युवाओं और फैक्ट्री के कार्यरत स्टाफ मजदूर कलाकारों द्वारा ड्रामा का आयोजन हुआ करता था.जिससे देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ पड़ती थी. साथ ही पर्दा पर फिल्म दिखाई जाती थी . फैक्ट्री बंद हो जाने के चलते लोगों में निराशा थी .लेकिन उस समय के फैक्ट्री परिसर में रहने वाले कुछ युवाओं ने दुर्गा पूजा कमेटी का गठन कर इस परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया.उनमें देवरी कला के तत्कालीन मुखिया लवकुश सिंह, मन्नू पांडेय, गोविंद विश्वकर्मा, बनारसी चौधरी, विनोद सिन्हा, बृजेश दुबे, सलीम खान, कलीमुद्दीन मंसूरी की अहम भूमिका रहती थी.
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