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अंगुलियों के अभाव में नहीं बन पा रहा आधार कार्ड

प्रखंड क्षेत्र के बंदुआ गांव निवासी 63 वर्षीय यमुना राम के जीवन की कहानी मौलिक अधिकारों के संकट को उजागर करती है.

अनूप कुमार, चैनपुर

प्रखंड क्षेत्र के बंदुआ गांव निवासी 63 वर्षीय यमुना राम के जीवन की कहानी मौलिक अधिकारों के संकट को उजागर करती है. जन्म से ही बाएं हाथ की सभी उंगलियों के अभाव के कारण आज तक उनका आधार कार्ड नहीं बन पाया है. इसी वजह से वे किसी भी सरकारी योजना चाहे वह वृद्धावस्था पेंशन हो या आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.

न आधार, न पहचान — हर योजना से वंचित

यमुना राम ने बताया कि वे बचपन में जब महज सात-आठ महीने के थे, तभी दुर्घटनावश उनका हाथ जल गया था. इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उनका पूरा बायां हाथ काट दिया. यही कारण है कि आज भी उनका बायोमीट्रिक पहचान आधारित आधार कार्ड नहीं बन पाया. उन्होंने कई बार आधार कार्ड बनवाने की कोशिश की. कुछ लोगों ने पैसे भी लिए, पर हर बार प्रयास असफल रहा. नतीजतन, वे आज भी किसी सरकारी योजना का लाभ लेने से वंचित हैं. यमुना राम का नाम पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में वोटर लिस्ट से गायब पाया गया, जिससे वे अपने मताधिकार का प्रयोग भी नहीं कर सके. अपनी शारीरिक अक्षमता के बावजूद यमुना राम आज भी चैनपुर क्षेत्र में रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. उन्होंने कहा, जब हर किसी को सरकार से कुछ न कुछ मिल रहा है, तो मुझे क्यों नहीं.

प्रशासन ने दिलाया समाधान का भरोसा

चैनपुर के अंचलाधिकारी (सीओ) चंद्रशेखर कुणाल ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है. उन्होंने कहा, अगर पंचायत की मुखिया के माध्यम से यमुना राम का लिखित आवेदन प्राप्त होता है, तो वोटर लिस्ट में उनका नाम जोड़ा जायेगा. वहीं आधार कार्ड के लिए भी विशेष प्रयास किए जायेंगे, ताकि वे सरकारी योजनाओं का लाभ पा सकें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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