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सभी वर्गों को एक साथ रखता है यज्ञ : स्वामी दामोदर
मेदिनीनगर : जगतगुरु वेदांतविद् स्वामी दामोदर प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कहा कि यज्ञ ऐसा कर्मकांड है, जो समाज के सभी वर्ग के लोगों को एकता के सूत्र में बांधता है. भारतीय संस्कृति में यज्ञ की परंपरा प्राचीन काल के ऋषियों ने शुरू की. इस यज्ञ को सफल बनाने में समाज के ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य व […]
मेदिनीनगर : जगतगुरु वेदांतविद् स्वामी दामोदर प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कहा कि यज्ञ ऐसा कर्मकांड है, जो समाज के सभी वर्ग के लोगों को एकता के सूत्र में बांधता है. भारतीय संस्कृति में यज्ञ की परंपरा प्राचीन काल के ऋषियों ने शुरू की. इस यज्ञ को सफल बनाने में समाज के ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य व शुद्र की सक्रिय सहभागिता रहती है.समाज के चारों वर्ण के लोग जब एकता के सूत्र में बंध जायेंगे. यानी एकजुट हो जायेंगे, तो उनकी स्थिति मजबूत होगी.
इसके परिणाम स्वरूप समाज व देश मजबूत होगा. आज जरूरत है यज्ञ की इस महत्ता को समझने की. चारों वर्ण के लोगों के एकजुटता से ही अत्याचारियों का नाश हो सकता है. उन्होंने लंकापति रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि त्रेतायुग में रावण ने भारत की भूमि पर आक्रमण किया था. उसने रणनीति के तहत भारत के बक्सर व नासिक के पंचवटी चौकी स्थापित की थी व आसुरी सेनाओं की तैनाती की थी. इन चौकियों पर तैनात सेना की कमान राक्षसियों को सौंपी गयी थी. रावण का यह मानना था कि भारत के लोग धर्म प्रिय होते है. धर्म के अनुरूप ही काम करते है. युद्ध के क्षेत्र में भी भारतीय धर्म का अनुपालन करते है. जब सेना की कमान संभाल रही महिला के साथ उनका सामना होगा, तो वे धर्म की दुहाई देते हुए हथियार डाल देंगे. इस तरह वे महिलाओं से युद्ध नहीं कर सकते.
उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम ने रावण के इस रणनीति का भेदन किया और बक्सर में महर्षि विश्वामित्र द्वारा आयोजित वैदिक महायज्ञ में उत्पात कर रहे सेनाध्यक्ष ताड़ूका राक्षसी का वध किया और महायज्ञ को सफल बनाया. भगवान श्रीराम ने संकल्प लिया था कि रावण जैसे अत्याचारी व आक्रमणकारी का संहार तो करेंगे ही, लेकिन देश में उनको प्रश्रय देने वाले बाली का भी वध किया जायेगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भारत की सभ्यता व संस्कृति पर कुठाराघात हो रहा है. भागलपुर से आये डॉ. दीपक मिश्रा का संगीतमय तथा अयोध्या से आये आचार्य मधुसुदन जी का ओजस्वी प्रचवन हुआ.
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