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अध्यात्म से ही होगा जीवन का उत्थान

मेदिनीनगर : भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव इस्कॉन संस्थान ने धूमधाम से मनाया. इस अवसर पर पुलिस लाइन रोड स्थित हरेकृष्ण निवास में कार्यक्रम का आयोजन हुआ. शाम 6.30 बजे से तुलसी आरती, नरसिंह आरती, भगवान श्रीकृष्ण की आरती के बाद भक्तजनों व श्रद्धालुओं ने हरिनाम संकीर्तन किया. दिल्ली से आये भक्ति सिद्धांत दास ने प्रवचन […]

मेदिनीनगर : भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव इस्कॉन संस्थान ने धूमधाम से मनाया. इस अवसर पर पुलिस लाइन रोड स्थित हरेकृष्ण निवास में कार्यक्रम का आयोजन हुआ. शाम 6.30 बजे से तुलसी आरती, नरसिंह आरती, भगवान श्रीकृष्ण की आरती के बाद भक्तजनों व श्रद्धालुओं ने हरिनाम संकीर्तन किया.
दिल्ली से आये भक्ति सिद्धांत दास ने प्रवचन के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण के महत्व व उनकी लीलाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला. प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि मानव जीवन ईश्वर की असीम कृपा से मिला है. इस जीवन को प्राप्त करने का लक्ष्य परमात्मा प्राप्ति है.
मगर अपने जीवन के लक्ष्य को हासिल करने की बजाये लोग भौतिकता की चकाचौंध में भटक गये हैं. आज जरूरत है भौतिकवाद से अपने आप को अलग रख कर अध्यात्म की ओर उन्मुख होने की. क्योंकि अध्यात्म से ही मानव जीवन का उत्थान होगा. भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में यही संदेश दिया है, बताया है कि धन व जन के संग्रह से माया के बंधन में जीव फंसा रहता है. माया का बंधन से जीव तभी मुक्त होगा, जब वह ईश्वर को प्राप्त करने के लिए अध्यात्म मार्ग पर चलेगा.
मायापुर से आये गौरधाम दास ने कहा कि प्रभु नाम ऐसी औषधि है, जिसका सेवन करने से मनुष्य का शोक व ताप मिट जाता है और वह अमृत का रसपान करता है. मानव जीवन के संपूर्ण विकास के लिए भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति आवश्यक है. लोगों को चाहिए कि आत्म समर्पण कर प्रभु चरणों में नतमस्तक हो और उनकी भक्ति में लीन हो जायें. डॉ रवि प्रकाश ने कहा कि भगवान अदृश्य शक्ति है, उसे हम खुली आंखों से नहीं देख सकते, लेकिन वह हम सबों को देख रहा है और पूरे सृष्टि का संचालन कर रहा है. ईश्वर जन्म नहीं लेता, बल्कि उसक अवतरण होता है.
भगवान श्रीकृष्ण ने जो गीता में संदेश दिया है, उस संदेश को अपनाने की जरूरत है, तभी मानव जीवन सार्थक होगा. महोत्सव के दौरान इंजीनियर नीतीश प्रभु ने अाध्यात्मिक नाटक प्रस्तुत किया, इसके माध्यम से यह बताया कि भोग-विलास से आत्मिक संतुष्टि नहीं होती है. उससे हटकर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए, ताकि उसे शांति मिल व शाश्वत सुख मिल सके. कार्यक्रम में काफी संख्या में श्रद्धालु व भक्तजन मौजूद थे. इसे सफल बनाने में सुंदर माधव दास, अभिषेक, विकास सहित अन्य लोग सक्रिय थे.

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