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अंतिम चक्र तक बिट्टू ने बढ़त बनाये रखी
पांकी विधानसभा उपचुनाव. परिणाम की घोषणा से पूर्व से ही कार्यकर्ता थे गदगद मेदिनीनगर : पांकी विधानसभा उपचुनाव को लेकर 14 टेबुल बनाये गये थे. 21 चक्र में मतों की गिनती हुई. पहले चक्र से ही कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह ने अपनी बढ़त बनायी. जो कि अंतिम चक्र बरकरार रहा. यद्यपि इस […]
पांकी विधानसभा उपचुनाव. परिणाम की घोषणा से पूर्व से ही कार्यकर्ता थे गदगद
मेदिनीनगर : पांकी विधानसभा उपचुनाव को लेकर 14 टेबुल बनाये गये थे. 21 चक्र में मतों की गिनती हुई. पहले चक्र से ही कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह ने अपनी बढ़त बनायी.
जो कि अंतिम चक्र बरकरार रहा. यद्यपि इस दौरान कई ऐसे मौके आये, जिससे यह लगा कि प्रतिद्वंदी प्रत्याशी कुशवाहा शशिभूषण मेहता बढ़त बना सकते हैं, लेकिन अंतत: ऐसा नहीं हो सका. बिट्टू ने पहले चक्र से जो बढ़त बनायी, वह 21 वें और अंतिम चक्र तक बरकरार रहा. मतों की गिनती मनातू से शुरू हुई थी. उसके बाद तरहसी, ये दोनों प्रखंड परंपरागत तौर पर दिवंगत विधायक विदेश सिंह के जमाने से उनके गढ़ के रूप में देखा जाता है.
इन दो प्रखंड के वोटरों ने उसी तरह बिट्टू में आस्था जतायी. जैसा दिवंगत विधायक विदेश सिंह के प्रति जताते थे. वैसे चुनाव के पूर्व या फिर मतदान के बाद जैसा अनुमान लगाया जा रहा था कि लेस्लीगंज में कुशवाहा शशिभूषण मेहता की स्थिति मजबूत रहेगी. पिछले चुनाव की तुलना में यदि देखा जाये तो कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने अपने प्रदर्शन को बरकरार रखा, लेकिन इस बार पूर्व की तुलना में यहां कांग्रेस प्रत्याशी को अच्छे मत मिले.
पांकी में भी कांग्रेस प्रत्याशी ने अपेक्षा के अनुरूप मत लिये. कुल मिलाकर देखा जाये तो पांकी विधानसभा क्षेत्र की जनता ने एक बार फिर विदेश के विकास पर मुहर लगायी है. 2014 के चुनाव की बात की जाये, तो दिवंगत विधायक विदेश सिंह विपरीत परिस्थिति में थे.
राजनीतिक तौर पर उन्हें विरोधियों ने घेरने की हरसंभव कोशिश की थी. लेकिन उनका विकास के प्रति समर्पण और जनता के प्रति प्रतिबद्धता थी कि तमाम राजनीतिक घेराबंदियों को तोड़ते हुए चुनाव जीत गये थे. इस बार जब उनके निधन के बाद जब चुनाव हो रहा था तो यह कहा जा रहा था कि मुश्किल हो सकती है. क्योंकि उपचुनाव है, बिट्टू राजनीति में नये हैं, विदेश राजनीति के मंजे के खिलाड़ी थे. लेकिन कम उम्र में ही बिट्टू सिंह ने भी राजनीतिक परिपक्वता का उदाहरण दिया. कैंपेंन के दौरान वह जनता को यह बात समझाने में सफल रहे कि वह अपने पिता की तरह ही कार्य करेंगे. संबोधन के दौरान विरोधियों पर न तो तेज हमले किये और न ही ओछी राजनीति की. बात सिर्फ विकास और अपने दिवंगत पिता विदेश सिंह तक ही फोकस रखा.
एक तरफ भाजपा के कई बड़े नेता उतरे, तो दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बना था. कांग्रेस की ओर से पूर्वमंत्री केएन त्रिपाठी, ददई दुबे, प्रदीप बालमुचू, प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, विधायक दल के नेता आलमगिर आलम सरीखे नेताओं ने अपनी ताकत तो झोंकी ही, साथ ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का कार्यक्रम भी कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा.
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