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बीडीओ का स्कूल बदहाल मुखिया ने बदली तसवीर

सरकारी स्कूल में बदलाव हो, वहां शैक्षणिक वातावरण का निर्माण हो. जो बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं, वे बीच में पढ़ाई न छोड़ें, इसके लिए सर्वशिक्षा अभियान के तहत स्कूल चलें हम अभियान शुरू हुआ. तय हुआ कि अधिकारी और जनप्रतिनिधि विद्यालयों को गोद लेंगे. नियमित उसका निरीक्षण करेंगे. शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रोत्साहित […]

सरकारी स्कूल में बदलाव हो, वहां शैक्षणिक वातावरण का निर्माण हो. जो बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं, वे बीच में पढ़ाई न छोड़ें, इसके लिए सर्वशिक्षा अभियान के तहत स्कूल चलें हम अभियान शुरू हुआ. तय हुआ कि अधिकारी और जनप्रतिनिधि विद्यालयों को गोद लेंगे. नियमित उसका निरीक्षण करेंगे. शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करेंगे.
नौडीहा : नौडीहा प्रखंड का नामुदाग मध्य विद्यालय को प्रखंड विकास पदाधिकारी राजेश एक्का ने गोद लिया है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक महेंद्र सिंह की मानें, तो जब से उन्होंने प्रभार लिया है, तब से बीडीओ साहब विद्यालय में नहीं आये हैं. बीडीओ श्री एक्का भी इस बात को स्वीकार करते हैं, कहते हैं कि पंचायत चुनाव आ गया था, उसमें व्यस्त रहे, फुर्सत नहीं मिला. अब विद्यालय जाकर देखेंगे कि वहां की जरूरत क्या है, प्रयास करेंगे कि यह विद्यालय मॉडल के रूप में उभरे.
नामुदाग मध्य विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या 497 है. विद्यालय में न तो बिजली की व्यवस्था है और न ही अन्य कोई सुविधा. शौचालय है भी तो उसकी साफ-सफाई नहीं होती. इस विद्यालय में सरकारी शिक्षकों का सात पद सृजित है, उसके विरुद्ध दो कार्यरत हैं, बाकी पारा शिक्षकों के भरोसे विद्यालय चल रहा है. लोगों का कहना है कि उन्हें खुशी थी, जब यह सुना था कि बीडीओ साहब ने विद्यालय को गोद लिया है, लेकिन इसके बाद भी स्थिति नहीं बदली.
मुखिया ने अभिभावकों की सहमति से बदली स्कूल की सूरत :गुलबझरी का ज्वाला प्रसाद सिंह मध्य विद्यालय अपग्रेड हो गया है. अब इसे स्तरोन्नत उच्च विद्यालय के रूप में जाना जाता है.
लेकिन इस विद्यालय में जो बदलाव आया है, वह यह उम्मीद जगाता है कि यदि प्रयास किया जाये, तो सरकारी स्कूल भी बदल सकते हैं और यहां के बच्चे भी बेहतर कर सकते हैं. इसी विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा पाकर सौरभ ने यूपीएससी की परीक्षा में भी सफलता पायी है. इस विद्यालय को वर्ष 2015 में तत्कालीन मुखिया अजय प्रसाद सिंह ने गोद लिया था.
तब इस विद्यालय में तीन शिक्षक पदस्थापित थे, उसमें दो प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विद्यालय में चले गये थे. मुखिया ने अपने स्तर से प्रयास किया, उपायुक्त से लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक से मिले. उनका प्रयास रंग लाया, जो शिक्षक दूसरे विद्यालयों में प्रतिनियुक्त थे, उन्हें पुन: इस विद्यालय में भेजा गया. इस विद्यालय को बेहतर बनाने के लिए कार्य हो रहा है. स्कूल नियमित चलता है.
विद्यालय में यदि कोई खामी है या बच्चे पढ़ नहीं रहे हैं, इसके लिए सप्ताह के दूसरे मंगलवार को बैठक होती है, उसमें अभिभावकों को बुलाया जाता है. उनसे राय ली जाती है कि कैसे व्यवस्था में सुधार हो. खासतौर पर पढ़ाई में कमजोर बच्चों को फोकस किया जाता है.
उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम होता है, पुरस्कृत किये जाते हैं, ताकि उनके मन में भी बेहतर करने की ललक बढ़े. विद्यालय के प्रधानाध्यापक कृष्णदेव पाठक का कहना है कि निश्चिततौर पर यदि प्रयास हो तो स्थिति में बदलाव आयेगा, वे लोग भी निराश थे, लगता था कि कुछ नहीं हो पायेगा, लेकिन मुखिया ने सक्रियता दिखायी, उनलोगों को भी लगा कि बदलाव आ रहा है. सक्रिय रूप से लग गये तो आज परिणाम सामने है.
विद्यालय में बिजली है, पंखे भी लगे हैं, प्रयास किया जा रहा है कि इस विद्यालय को निजी विद्यालय का रूप दिया जा सके. फिलहाल इस पंचायत की मुखिया अजय सिंह की पत्नी नेत्रमणि देवी हैं जो इस माहौल बरकरार रखने में जुटी है. प्रधानाध्यापक श्री पाठक का कहना है कि जो पढ़ने में अव्वल रहते हैं, उन्हें बेहतर बनाना कोई बड़ी बात नहीं है, हमलोगों का लक्ष्य वैसे बच्चों को बेहतर बनाना है जो पढाई मेंकमजोर हैं.
मार्च के बाद मामले को देखा जायेगा : डीइओ
जिला शिक्षा पदाधिकारी रतन कुमार महावर ने बताया कि प्रखंड व जिलास्तर के पदाधिकारियों को एक-एक विद्यालय को गोद लेना था, गोद लिया भी गया है, लेकिन उसके बाद क्या कार्य हुआ है, इसकी समीक्षा नहीं हो पायी है. फिलहाल मार्च का महीना चल रहा है, इसके बाद इस मामले को देखा जायेगा. विद्यालयों में सुधार हो, यह प्राथमिकता में शामिल है.
कारण क्या है, जानना है
जिन विद्यालयों को गोद लिया गया है, वहां नियमित निरीक्षण करना है, वहां की जरूरतों को देखना है, यदि कोई बच्चा बीच में पढ़ाई छोड़ देता है, तो उसके अभिभावकों से संपर्क कर यह जानना है कि आखिर बच्चा स्कूल क्यों नहीं आ रहा है, वजह क्या है. विद्यालय में शैक्षणिक वातावरण तैयार करने के साथ-साथ आदर्श स्थिति भी कायम करना है.

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