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न नियमित वेतन और न ही पेंशन
खजाने में 16 लाख, 59 हजार, जरूरत है 54 लाख की मेदिनीनगर : मेदिनीनगर नगर पर्षद की वितीय स्थिति चरमरा गयी है. स्थिति यह है कि नगर पर्षद की आज की तिथि में प्रतिमाह इतने राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है कि वह कर्मियों को नियमित भुगतान कर सके. सूत्रों की माने तो नगर […]
खजाने में 16 लाख, 59 हजार, जरूरत है 54 लाख की
मेदिनीनगर : मेदिनीनगर नगर पर्षद की वितीय स्थिति चरमरा गयी है. स्थिति यह है कि नगर पर्षद की आज की तिथि में प्रतिमाह इतने राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है कि वह कर्मियों को नियमित भुगतान कर सके. सूत्रों की माने तो नगर पर्षद के कर्मियों को वेतन भुगतान में प्रतिमाह 17-18 लाख की जरूरत पड़ती है. अभी जो हालत हैं, उसमें वेतन मद में नगर पर्षद के पास 16 लाख, 59 हजार, 442 रुपया ही है. यानी की एक माह के वेतन मद में जरूरत के मुताबिक राशि नहीं है.
इस स्थिति से आखिर नगर पर्षद को कैसे निकाला जाये, इस पर विचार शुरू हो गया है. नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी अजय कुमार साव का कहना है कि बकाये वसूली के मामले में अब कड़ा रुख अपनाया जायेगा. इसके लिए बैठक भी की गयी है. मेदिनीनगर नगर पर्षद में कर्मियों की संख्या 210 है. कर्मियों के वेतन भुगतानके लिए नगर पर्षद को राज्य सरकार द्वारा अंशदान दिया जाता है, लेकिन शेष राशि नगर पर्षद को ही जुगाड़ करना पड़ता है.
लेकिन इधर हाल के कुछ वर्षों में राजस्व वसूली के मामले में काफी शिथिलता आयी है. इसके कारण नगर पर्षद के कर्मियों को नियमित वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा है. स्थिति यह है कि जो नगर पर्षद से सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें समय पर पेंशन भी नहीं मिल रहा है.
अनुबंध पर नगर पर्षद में कार्य कर रहे दास बाबू का गुरुवार को ही आर्थिक अभाव में निधन हो गया है. कहा जाता है कि पैसे की कमी के कारण वह अपना इलाज नहीं करा सके और उनकी मौत हो गयी. कहा जा रहा है कि उनके श्राद्ध-कर्म के लिए भी परिजनों के पास पैसे नहीं है. कर्ज लेकर काम करने की स्थिति बन गयी है. दास बाबू के मौत के बाद नगर पर्षद भी जगा है. कहा जा रहा है कि वेतन संबंधित संचिका मंगायी गयी. लेकिन ऐसे में सवाल यह है कि आखिर ऐसी स्थिति से कर्मियों को निजात कब मिलेगी.
सूदखोरों के चंगुल में सफाईकर्मी
सफाईकर्मी की हालत बदतर है, मेदिनीनगर नगर पर्षद में सफाईकर्मियों की संख्या 140 के करीब है. उन्हें नियमित वेतन नहीं मिलता. सफाईकर्मी की स्थिति यह हो गयी है कि अब उन्हें दुकानदार भी उधार में समान नहीं देते, ऐसे में न चाहकर भी सफाईकर्मी सूदखोरों के चंगुल में चले जाते हैं. आज भी कई ऐसे सफाईकर्मी हैं, जो सूदखोरों से परेशान हैं. कहते हैं कि करें तो करें क्या, तीन माह का वेतन बकाया है, एक माह का मिलेगा और वह भी सूद में ही चला जायेगा. हमलोग करें तो करे क्या?
तीन माह से पेंशन की आस
चियांकी के राजनाथ उरांव की उम्र 65 साल है. मेदिनीनगर नगर पर्षद से वह रात्रि प्रहरी के पद पर सेवानिवृत्त हुए हैं. 2011 में सेवानिवृत हुए हैं, पिछले तीन माह से उन्हें पेंशन नहीं मिला है.
आज वह नगर पर्षद कार्यालय में पेंशन की आस में पहुंचे थे, लेकिन निराश हो कर लौटे. दास बाबू की निधन की खबर सुनकर वह भी मर्माहत था. राजनाथ ने कहा कि किसी दिन आर्थिक अभाव में दास बाबू की तरह वे लोग भी अभाव में चल बसेंगे. कोई देखने वाला नहीं है. गरीबों का दर्द कोई सुनता भी नहीं है.
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