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इंगलैंड में सामान्य समस्या पर एंटीबायोटिक नहीं लिखते चिकत्सिक

इंगलैंड में सामान्य समस्या पर एंटीबायोटिक नहीं लिखते चिकित्सकइंगलैंड की चिकित्सक डॉ जीनत अंसारी से बातचीतफोटो—विमलदेवरांची: एंटीबायोटिक का दुष्प्रभाव शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर पड़ता है. एंटीबॉयोटिक की सलाह भी चिकित्सकों को संभल कर देनी चाहिए. इंगलैंड में फ्लू व सामान्य बीमारियों में एंटीबॉयोटिक का प्रयोग नहीं होता है. यह वहां के लाइन ऑफ ट्रीटमेंट […]

इंगलैंड में सामान्य समस्या पर एंटीबायोटिक नहीं लिखते चिकित्सकइंगलैंड की चिकित्सक डॉ जीनत अंसारी से बातचीतफोटो—विमलदेवरांची: एंटीबायोटिक का दुष्प्रभाव शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर पड़ता है. एंटीबॉयोटिक की सलाह भी चिकित्सकों को संभल कर देनी चाहिए. इंगलैंड में फ्लू व सामान्य बीमारियों में एंटीबॉयोटिक का प्रयोग नहीं होता है. यह वहां के लाइन ऑफ ट्रीटमेंट के प्रोटोकॉल में शामिल नहीं है. इसका सख्ती से पालन किया जाता है. यह बातें रिम्स की स्टूडेंट रही व इंगलैंड की चिकित्सक डॉ जीनत अंसारी ने प्रभात खबर संवाददाता राजीव पांडेय से विशेष बातचीत में कही. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश.इंगलैंड में लाइन आॅफ ट्रीटमेंट किस तरह का है, चिकित्सक सामान्यत: प्रैक्टिस में क्या सावधानी रखते हैं.वहां चिकित्सक अपडेट रहते हैं. लाइन ऑफ ट्रीटमेंट भारत से बल्किुल अलग है. वहां प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन होता है. प्रैक्टिस के दौरान चिकित्सक यह खास ख्याल रखते हैं कि कौन सी दवा मरीज को देनी है. किस दवा से मरीज को हानी पहुंच सकती है. आपको बता दें कि इंगलैंड में फ्लू व सामान्य बीमारी में एंटीबॉयोटिक का प्रयोग नहीं होता. जब मरीज ज्यादा संक्रमित हो जाये, तो एंटीबायोटिक दिये जाते हैं. पहले वहां भी प्रयोग होता था, लेकिन विगत छह-सात सालों से बहुत सख्ती है. हमारे भारत के चिकित्सकों को इसका ख्याल रखना चाहिए.आपको लगता है कि मरीज को जागरूक होना जरूरी है. चिकित्सक क्या दवा दे रहा है इसकी जानकारी होनी चाहिए.मरीज को एजुकेटेड होना बहुत जरूरी है. इंगलैंड में प्रैक्टिस के दौरान में देखती हूं कि मरीज जब इलाज कराने आता है तो वह चिकित्सक को पूरी हिस्ट्री बताता है. उसे बीमारी के लक्षण के बारे में पता होता है. वह चिकित्सक से बहुत सारे सवाल करता है. हमें भी उसे पूूरी तरह संतुष्ट करना होता है. चिकित्सक को मरीज के साथ नम्रता के साथ व्यवहार करना होता है. हमारे देश में चिकित्सक द्वारा हिस्ट्री पूछने पर मरीज का जवाब होता है शायद ऐसा हुआ था. उसे लक्षण की जानकारी नहीं होती है. चिकित्सक से मरीज ज्यादा सवाल नहीं पूछ सकते हैं.सामान्य व वीआइपी की मरीज की परिभाषा क्या इंगलैंड में भी है.इंगलैंड में यह बिल्कुल नहीं चलता है. वहां सब एक सामान है. मरीज को वीआइपी व सामान्य जैसी श्रेणी में नहीं बांटा गया है. सभी को एक जैसी व एक तरह का इलाज मिलता है. पोल्टिकल प्रोटोकॉल तो होता है, लेकिन यहां की तरह नहीं. वहां के पोल्टिकल लीडर ज्यादा वीआइपी व्यवहार की उम्मीद नहीं रखते हैं. आप रिम्स की स्टूडेंट रही हैं, यहां के युवा चिकित्सकों को क्या सलाह देंगी.ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निवर्हन करें. अपने काम के प्रति सजग रहें. मरीज के साथ नम्रता की भाव रखें. मरीज का केयर कैसे हो सकता है, इसकी चिंता करें.

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