इतिहासकारों को निष्पक्ष रहने की जरूरत : राज्यपालरांची विवि स्नातकोत्तर इतिहास विभाग में हिस्ट्री अॉफ झारखंड : ए ब्लू प्रिंट फॉर रिकंस्ट्रक्शन विषयक दो दिवसीय सेमिनार का उदघाटन मुख्य संवाददाता, रांचीझारखंड की राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रौपदी मुरमू ने कहा कि कोई भी इतिहासकार बिना किसी दवाब, प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना निष्पक्ष होकर इतिहास लिखें. आवश्यक तथ्यों अौर रिकार्ड के आधार पर ही इतिहास लिखे जाते हैं अौर लिखे भी जाने चाहिए. झारखंड का एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य रहा है. इसे यूं कहा जाये कि झारखंड एक एेतिहासिक रचना है. यहां की परंपरा, लोक कला, भाषा, संस्कृति के आधार पर ही हम इतिहास को जान पा रहे हैं. यहां की एेतिहासिक धरोहर ही इसे बयां करते हैं. श्रीमती मुरमू शनिवार को रांची विवि स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में हिस्ट्री अॉफ झारखंड : ए ब्लू प्रिंट फॉर रिकंस्ट्रक्शन विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में बोल रही थीं. राज्यपाल ने कहा कि झारखंड के बारे में अौर अध्ययन अौर शोध की आवश्यकता है. खुद के बारे में हमारी अपनी राय भी काफी हद तक इतिहास के माध्यम से बनती है. इतिहास किसी के भी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कई इतिहासकारों का मानना है कि मगध साम्राज्य के पहले से झारखंड को जाना जाता है. ब्रिटिश काल में यहां के लोगों के साथ किये गये अन्याय पूर्ण रवैये का स्थानीय लोगों ने प्रतिरोध किया. स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड भी हर मोरचे पर रहा. इसका इतिहास गवाह है. झारखंड विभिन्न धार्मिक संस्कृतियों का भी केंद्र रहा है. इटखोरी मंदिर, पारसनाथ, देवघर के अलावा कई ऐसी जगह भी है जहां प्रकृति की पूजा होती है़ शिक्षकों व शोधार्थियों को चाहिए कि वे झारखंड के बारे में नयी जानकारियां एकत्रित करें.रांची विवि के प्रॉक्टर व इतिहास विभाग के प्राध्यापक डॉ दिवाकर मिंज ने कहा कि इतिहास से हमें प्रेरणा व अात्मबल मिलता है. आदिवासियों का इतिहास गौरवमयी रहा है. इतिहासकार डॉ आइके चौधरी ने कहा कि सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में स्थानीय क्षेत्र का इतिहास जानना आवश्यक है. झारखंड के इतिहास को जानना है तो यहां की परंपरा, लोककला, भाषा, रहन-सहन, संस्कृति, परंपरा, पुरातत्व आदि को जानना जरूरी होगा़ इसकी गहराई में जाना होगा. पूर्वाग्रह से ग्रसित स्रोतों को माध्यम बना कर इतिहास लिखने से बचना होगा. विभागाध्यक्ष डॉ रघुनाथ यादव ने आगंतुकों का स्वागत किया. संचालन डॉ कुंदन कुमार ठाकुर व धन्यवाद ज्ञापन रजिस्ट्रार डॉ अमर कुमार चौधरी ने किया. इस अवसर पर इतिहासकार डॉ एके सेन व डॉ वी विरोत्तम को राज्यपाल ने सम्मानित किया. राज्यपाल व अन्य अतिथियों ने सोवेनियर का लोकार्पण भी किया. उदघाटन सत्र में डॉ सुशीला मिश्रा, डॉ एचएस पांडेय, डॉ अंजनी कुमार श्रीवास्तव, डॉ मंजु सिन्हा, डॉ अशोक कुमार चौधरी, डॉ अरूण कुमार, राजेश कुमार सिंह, अशोक कुमार सिंह सहित कई विभागाध्यक्ष, शिक्षक, प्रचार्य, विद्यार्थी,शोधार्थी उपस्थित थे. इतिहास का पुनर्लेखन जरूरीरांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि अतीत यथावत रहता है, लेकिन लिखने की कला परिवर्तनशील है. शोध के माध्यम से नयी जानकारियां लोगों को मिलती हैं. झारखंड का इतिहास अंग्रेजों ने अपने हितों को ध्यान में रख कर लिखा. विवि के शिक्षकों व शोधकर्ताअों को चाहिए कि इसके बाद जो भी परिवर्तन हुए, उसे सामने लायें. इतिहास का पुनर्लेखन जरूरी है. इतिहास संजोने की जरूरत राज्यपाल के प्रधान सचिव एसएस मीणा ने कहा कि राज्य की पहचान कामय रखने के लिए इतिहास को संजोये रखना होगा. इतिहास लिखना कठिन चुनौती है. पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर इतिहास नहीं लिखना चाहिए. अब तक के इतिहास में किसी खास को नेतृत्व के रूप में पेश किया गया है, जबकि पूरे समाज को समेटने की जरूरत है. झारखंड बनने पर इसे आदिवासी बहुल क्षेत्र व संसाधनों से परिपूर्ण रहने के बावजूद गरीब रहने का जिक्र इतिहासकार सहित अन्य लोग करते आ रहे हैं. ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए. शोध की जरूरत रांची विवि के प्रतिकुलपति डॉ एम रजिउद्दीन ने कहा कि मध्य काल के झारखंड के इतिहास को खोजने की आवश्यकता है. झारखंड के इतिहास में नये अध्याय जोड़ने की आवश्यकता है. डीन डॉ करमा उरांव ने कहा कि क्षेत्र का विकास जरूरी है. आरोप-प्रत्यारोप से परे होकर हम सभी को आगे आना होगा. गुणवत्तापूर्ण शोध की अावश्यकता है. बेल्जियम अौर रांची विवि मिल कर मानवशास्त्र पर कार्य करेंगे, ऐसा प्रस्ताव आया है. इस पर राज्यपाल ने भी सहमति दे दी है.
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इतिहासकारों को नष्पिक्ष रहने की जरूरत : राज्यपाल
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