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छह दिन से अनशन पर हैं कैदी

छह दिन से अनशन पर हैं कैदीरिहाई की मांगनौ की स्थिति बिगड़ी, जेल अस्पताल में भरतीवरीय संवाददाता, रांचीरिहाई की मांग को लेकर जय प्रकाश नारायण केंद्रीय कारा के करीब 150 बंदी पिछले छह दिनों से भूख हड़ताल पर हैं. हड़ताल के कारण नौ बंदियों की हालत बिगड़ने के बाद पर उन्हें जेल के अस्पताल में […]

छह दिन से अनशन पर हैं कैदीरिहाई की मांगनौ की स्थिति बिगड़ी, जेल अस्पताल में भरतीवरीय संवाददाता, रांचीरिहाई की मांग को लेकर जय प्रकाश नारायण केंद्रीय कारा के करीब 150 बंदी पिछले छह दिनों से भूख हड़ताल पर हैं. हड़ताल के कारण नौ बंदियों की हालत बिगड़ने के बाद पर उन्हें जेल के अस्पताल में भरती कराया गया है. अनशन करनेवाले बंदी राज्य की जेलों में बंद 14 साल से अधिक की सजा पूरी कर चुके बंदियों की मांगों का समर्थन कर रहे हैं. जेल बंदी संघर्ष समिति और जेल बंदी मुक्ति कमेटी ने सोमवार को प्रेस बयान जारी कर कहा है कि बंदियों की हालत बिगड़ती जा रही है. सरकार सजा पुनरीक्षण बोर्ड की बैठक कर 14 साल की सजा काट चुके बंदियों को छोड़ने के लिए पहल करे. मामले में जेल आइजी सुमन गुप्ता ने कहा कि आजीवन कारावास की सजा प्राप्त जिन बंदियों ने 14 साल की सजा काट ली है, उन्हें छोड़ने के लिए प्रक्रिया शुरू की गयी है. ऐसे बंदियों को वस्तुस्थिति से अवगत भी कराया जा चुका है. साथ ही यह भी अपील की गयी है कि वह आंदोलन समाप्त करें और प्रक्रिया के तहत काम होने दें.13 अगस्त को हुई थी बैठक राज्य की जेलों में करीब 139 बंदी ऐसे हैं, जिन्हें अदालत ने आजीवन कारावास की सजा दी थी और वे 14 साल की सजा काट चुके हैं. गत 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि 14 साल की सजा काट चुके बंदियों के व्यवहार व गतिविधियों की समीक्षा करने के बाद राज्य सरकार उन्हें रिहा कर सकती है. यह आदेश के आने के बाद 13 अगस्त को सरकार ने सजा पुनरीक्षण कमेटी की बैठक की. बैठक में यह तय किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में एडवोकेट जेनरल और अटार्नी जेनरल से राय ली जाये. एडवोकेट जेनरल की तरफ से कोई स्पष्ट मंतव्य नहीं दिया गया है. अटार्नी जेनरल की रिपोर्ट भी नहीं आयी है, इस कारण बंदियों को छोड़ने पर फैसला लंबित है.

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