मेदिनीनगर : आखिर मेदिनीनगर को जाम से मुक्ति मिलेगी कैसे? सड़कों पर जाम मेदिनीनगर शहर के लिए आम है. शायद ही कोई दिन ऐसा बीतता हो, जब शहर से ताल्लुक रखने वाले लोग जाम से रू-ब-रू नहीं होते हैं. 1888 में मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) नगरपालिका बनी थी. 1892 में पलामू को जिला का दर्जा मिला था. जिला मुख्यालय मेदिनीनगर 128 साल पुराना शहर है. फिर भी यहां की यातायात व्यवस्था दुरुस्त नहीं है.
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पार्किंग नहीं होने से शहर में आये दिन लगा रहता है जाम
मेदिनीनगर : आखिर मेदिनीनगर को जाम से मुक्ति मिलेगी कैसे? सड़कों पर जाम मेदिनीनगर शहर के लिए आम है. शायद ही कोई दिन ऐसा बीतता हो, जब शहर से ताल्लुक रखने वाले लोग जाम से रू-ब-रू नहीं होते हैं. 1888 में मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) नगरपालिका बनी थी. 1892 में पलामू को जिला का दर्जा मिला […]
अब मेदिनीनगर नगर पर्षद से प्रमोट होकर वर्ष-2018 में निगम का दर्जा भी प्राप्त कर चुका है. लेकिन इसके बाद भी सिस्टम डेवलप नहीं हो पा रहा है, जिससे लोगों को यह लगे कि शहर अब बदलने की दिशा में बढ़ रहा है. क्योंकि शहर में यातायात व्यवस्था से लेकर पार्किंग व्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में अपेक्षित कदम नहीं बढ़े हैं.
कवायद तो हुई. लेकिन उसके बाद बाद अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आया. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि स्थिति यही रही तो आखिर कैसे बदलेगा मेदिनीनगर शहर.जानकारों की माने तो जाम का एक प्रमुख कारण शहर में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होना है. हालांकि पार्किंग के लिए कई बार स्थानों को चिह्नित किया गया. बताया गया कि लाइनिंग का काम होगा.
सड़क के किनारे से अतिक्रमण हटाया गया, ताकि यातायात व्यवस्था सुगम हो सके. एक बार अभियान के रूप में यह सबकुछ चलता है और कुछ दिन के बाद फिर से स्थिति वही हो जाती है, जिससे निजात दिलाने के लिए अभियान चला. सड़क के किनारे लोग यू ही गाड़ी खड़ी कर देते हैं. शहर में जो बड़े मार्केट व कांपलेक्स बने उनके पास भी पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं. कांपलेक्स में जाने वाले लोग सड़कों पर ही वाहन खड़े करते हैं.
टेंपो के लिए स्टैंड बना है. लेकिन छहमुहान के पास रोजना यह देखने को मिलता है कि जब सड़क पर टेंपो खड़ा कर चालक यात्री बैठाते है. रेड़मा से कचहरी तक डिवाइडर लगा है. उसके बाद भी स्थिति में बदलाव नहीं हुआ है. लोगों का कहना है कि जब जाम लग जाता है, तो पुलिस उसे हटाने के लिए सक्रिय होती है.
लेकिन जाम की स्थिति न बने, इसके लिए पहले से कोई व्यवस्था नहीं की जाती है. शहर के लिए जाम एक बड़ी समस्या बन चुकी है. 11 जनवरी से सड़क सुरक्षा सप्ताह शुरू हो रहा है. ऐसे में क्या उम्मीद की जा सकती है कि सड़क सुरक्षा सप्ताह में संकल्प के साथ जाम मुक्त शहर बनाने की पहल होगी या फिर सब कुछ वैसे ही चलेगा जैसा चल रहा है.
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