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न पदधारियों को मिला सम्मान, न ही झांकी को दिया गया पुरस्कार

मेदिनीनगर : मेदिनीनगर की रामनवमी बिना समापन समारोह के ही संपन्न हो गया. मेदिनीनगर में रामनवमी मनाये जाने की परंपरा वर्ष 1934 से शुरू हुई थी. अब तक की जो परंपरा है, उसके मुताबिक रामनवमी पर्व का समापन श्री महावीर नवयुवक दल जेनरल द्वारा आयोजित सम्मान समारोह व पुरस्कार वितरण के साथ होता था. तय […]

मेदिनीनगर : मेदिनीनगर की रामनवमी बिना समापन समारोह के ही संपन्न हो गया. मेदिनीनगर में रामनवमी मनाये जाने की परंपरा वर्ष 1934 से शुरू हुई थी. अब तक की जो परंपरा है, उसके मुताबिक रामनवमी पर्व का समापन श्री महावीर नवयुवक दल जेनरल द्वारा आयोजित सम्मान समारोह व पुरस्कार वितरण के साथ होता था.

तय कार्यक्रम के मुताबिक रामनवमी की शोभायात्रा रविवार की रात निकली थी. विभिन्न पूजा संघों की झांकी व महावीरी झंडा के साथ लोग इसमें शामिल हुए थे. छहमुहान के पास सोमवार की अहले सुबह सम्मान समारोह सह पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन होना था. इसकी तैयारी भी पूरी कर ली गयी थी. लेकिन अचानक रात के करीब डेढ़ बजे विवाद हो गया. विवाद कैसे हुआ, कारण क्या है. यह जानने के लिए लोग छहमुहान के पास जुटने लगे.

पूजा संघों की झांकी और महावीर झंडा जहां थी, वहीं पर रोक दी गयी. यह जानने के लिए लोग परेशान रहे कि आखिर हुआ क्या है. जितनी मुंह उतनी बात, अफवाहों का बाजार गर्म रहा. कोई कह रहा था कि प्रशासन ने जेनरल अध्यक्ष की पिटाई कर दी. तो कोई कह रहा था कि डीजे साउंड को लेकर प्रशासन ने कार्रवाई कर दी है, तो कोई कह रहा था कि जेनरल अध्यक्ष के साथ जेलहाता के लोगों ने बदसलूकी की है.लेकिन हकीकत क्या है यह कोई बताने के स्थिति में नहीं था.
अफरा-तफरी का माहौल कायम था. बताया जाता है कि सोमवार की सुबह चार बजे के बाद लोगों की भीड़ शहर थाना में जुट गयी. तब लोगों को धीरे-धीरे वास्तविक स्थिति का पता चला . जेनरल ने ठीक तरीके से पूजा कमेटियों को बताया भी नहीं कि आगे होने वाला क्या है. पुरस्कार वितरण सह सम्मान समारोह होगा या नहीं. इसकी भी जानकारी व्यवस्थित तरीके से नहीं दी गयी या फिर यह नहीं बताया गया कि कार्यक्रम किन कारणों से रद्द किया गया.
किस वजह से परंपरा टूट रही है. यह भी बताने वाला कोई नहीं था. जेनरल अध्यक्ष के साथ कमेटी के पदधारी शहर थाना में जमे हुए थे. लेकिन पूजा संघ के लोगों को स्पष्ट कुछ नहीं बताया गया. करीब छह बजे के बाद पूजा संघ के लोग झांकी व झंडे के साथ निराश होकर वापस लौट गये. लोगों के मन में इस बात को लेकर काफी मलाल था कि पिछले 85 वर्षों से चली आ रही परंपरा टूट गयी. जेनरल इस परंपरा को बचाये रखने में विफल साबित हुई.
लोगों का कहना था कि परंपरा का निर्वह्न हरहाल में होना चाहिए था. यदि विवाद हुआ था, तो प्रशासन की मदद से समारोह किया जाना चाहिए था. जो नहीं हो सका. यह काफी अफसोस की बात है. पर्व को लेकर लोगों में जो उत्साह और उमंग था, वह ठंडा पड़ गया. इसके लिए जिम्मेवार चाहे जो भी हो लेकिन रामनवमी बिना समापन समारोह के ही संपन्न हो जाना निश्चित तौर एक सुलगता सवाल है.

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