प्रतिनिधि, महेशपुर. प्रखंड मुख्यालय स्थित कल्याण छात्रावास परिसर में गुरुवार को माझी परगना लहन्ती बैसी की मासिक बैठक प्रखंड अध्यक्ष जितेंद्र मुर्मू की अध्यक्षता में आयोजित की गयी. उक्त बैठक में विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गयी. बैठक में मुख्य रूप से पाँचवीं अनुसूचित क्षेत्र के लिए संसदीय कानून पी. पेसा कानून 1996 पर विचार-विमर्श किया गया. सदियों से अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समाज में पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था रही है, लेकिन झारखंड सरकार इस पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को समाप्त करने के लिए गलत तरीके से झारखंड पंचायत अधिनियम 2001 को थोपने का प्रयास कर रही है, जो आदिवासी समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है और कानूनी रूप से भी गलत है. झारखंड उच्च न्यायालय ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया है कि वह पी. पेसा कानून 1996 को लागू करे, लेकिन अभी तक यह कानून लागू नहीं किया गया है. इससे यह स्पष्ट होता है कि झारखंड सरकार आदिवासियों की मूल भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. ग्राम प्रधान और पारंपरिक स्वशासन से जुड़े सभी व्यक्ति इस स्थिति से अत्यंत नाराज हैं. वे चाहते हैं कि झारखंड सरकार न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए 23 प्रावधानों के साथ पी. पेसा नियमावली को जल्द से जल्द कानून बनाकर लागू करे. अन्यथा, लहन्ती बैसी के सभी लोग आगामी दिनों में आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे. इस मौके पर कमलाकांत मुर्मू, स्टीफन हेम्ब्रम, डीजेन हांसदा, सिकानूएल हांसदा, बबलू मरांड, सुशील सोरेन, प्रधान सोरेन, माकु किस्कु, लखीराम किस्कु, अनीता मरांडी, बीबीयाना मुर्मू, गुलु मुर्मू, दीदीमुनि मुर्मू सहित दर्जनों ग्राम प्रधान मौजूद थे.
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