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सदफ की कविता मैं स्त्री हूं ने छोड़ा आत्मीय प्रभाव, बनी विजेता

पाकुड़ बीएड कॉलेज में लैंगिक आधारित हिंसा के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें कविता पाठ प्रतियोगिता भी शामिल थी। डीएलएड और बीएड के छात्रों ने लैंगिक असमानता, महिलाओं पर हिंसा और सामाजिक संवेदनशीलता जैसे मुद्दों पर अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। डीएलएड की छात्रा सदफ परवीन की "मैं स्त्री हूँ " कविता को प्रथम स्थान मिला। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय कुमार ने कला को सामाजिक परिवर्तन का प्रभावशाली माध्यम बताया। कार्यक्रम में शिक्षक, एनएसएस स्वयंसेवक और छात्र काफी संख्या में मौजूद थे। सभी प्रस्तुतियों ने लैंगिक हिंसा के विरुद्ध समाज को एकजुट होने का संदेश दिया।

नगर प्रतिनिधि, पाकुड़. पाकुड़ बीएड कॉलेज में लैंगिक आधारित हिंसा के विरुद्ध जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के तहत कविता पाठ प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसमें डीएलएड और बीएड के छात्रों ने भाग लिया. प्रतिभागियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से लैंगिक असमानता, महिलाओं के प्रति हिंसा और सामाजिक संवेदनशीलता जैसे विषयों पर प्रभावशाली प्रस्तुतियाँ दीं. प्रतियोगिता में डीएलएड की छात्रा सदफ परवीन ने “मैं स्त्री हूँ ” शीर्षक कविता प्रस्तुत कर सभी का ध्यान आकर्षित किया. उनकी प्रस्तुति को ज्यूरी सदस्यों और उपस्थित श्रोताओं ने संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ मानते हुए प्रथम स्थान प्रदान किया. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय कुमार ने विजेता छात्रा को बधाई देते हुए कहा कि कविता और कला सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम हैं. छात्र-छात्राओं की प्रस्तुतियों ने स्पष्ट संदेश दिया कि लैंगिक हिंसा के विरुद्ध समाज को एकजुट होना होगा. कार्यक्रम में शिक्षक, एनएसएस स्वयंसेवक और बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे.

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