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महेशपुर के कंकाली आश्रम में 74 वर्षों से हो रही है दुर्गापूजा

महेशपुर. प्रखंड मुख्यालय स्थित श्मशान घाट के पास स्थित कंकाली आश्रम श्रद्धालुओं के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है.

श्मशान घाट के पास स्थित कंकाली आश्रम आस्था का है प्रमुख केंद्र प्रतिनिधि, महेशपुर. प्रखंड मुख्यालय स्थित श्मशान घाट के पास स्थित कंकाली आश्रम श्रद्धालुओं के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है. यहां 74 वर्षों से पौराणिक रीति-रिवाजों के साथ मां दुर्गा की पूजा होती आ रही है. इस आश्रम की स्थापना वर्ष 1951 में पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर जिले के जमींदार परिवार के राधेशचंद्र बनर्जी उर्फ सर्वानंद बाबा ने की थी. पुत्री के असामयिक निधन से दुखी होकर उन्होंने गृहस्थ जीवन त्यागकर संन्यास धारण कर लिया था. सर्वानंद बाबा एक शिक्षित व्यक्ति होने के साथ-साथ बांग्ला और अंग्रेजी के अच्छे लेखक भी थे. कंकाली आश्रम में दुर्गापूजा सर्वप्रथम 1951 से 1959 तक स्वयं सर्वानंद बाबा ने की. उनके निधन के बाद 1960 से 1999 तक उनके शिष्य भगवती प्रसाद सिंह व उनके अन्य शिष्यों ने पूजा की. वर्ष 2000 से अब तक स्व भगवती प्रसाद सिंह के पुत्र जयशंकर सिंह उर्फ भैया अपने सहयोगी गोपाल भगत के साथ इस परंपरा को निभा रहे हैं. पुरानी मान्यता के अनुसार, प्रतिमा का नगर भ्रमण नहीं कराया जाता और विसर्जन मंदिर के समीप बहने वाली बांसलोई नदी में किया जाता है. दुर्गापूजा के अष्टमी और नवमी के बीच संधि पूजा के समय आश्रम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. मान्यता है कि इस समय मांगी गयी मुराद अवश्य पूरी होती है. अष्टमी को कंकाली आश्रम में कुंवारी कन्याओं को विशेष रूप से भोजन कराना विशेष परंपरा है.

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