हिरणपुर. ब्रिटिश काल से अस्तित्व में मौजूद हिरणपुर का ऐतिहासिक मवेशी हाट आज नारकीय हालात से गुजर रहा है. यह हाट प्रशासन को भले ही हर साल लाखों रुपये का राजस्व देता हो, लेकिन यहां की जमीनी हकीकत किसी बदहाली से कम नहीं. साप्ताहिक हाट गुरुवार को लगता है. इस हाट में सैकड़ों व्यापारी 50 रुपये प्रति मवेशी शुल्क देकर खरीद-बिक्री करते हैं, बावजूद यहां साफ-सफाई, पेयजल, शौचालय और ठहराव जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नदारद हैं. हाट परिसर में चारों तरफ फैली गंदगी और कूड़े का अंबार व्यापारियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. चापाकल खराब पड़े हैं, पानी निकासी व्यवस्था ठप है और व्यापारियों के लिए बने शेड भी बेहद अपर्याप्त है. हाट में बिजली की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. शाम होते ही व्यापारियों को हड़बड़ी में अपना काम निपटाने पड़ते हैं. बिजली की अनुपस्थिति न केवल असुविधा बढ़ा रही, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी गंभीर खतरा बना हुआ है. विडंबना यह है कि हाट परिसर में आज तक तड़ित चालक नहीं लगाया गया, जिससे विगत वर्षों में आकाशीय बिजली गिरने से कई व्यापारियों की जान तक जा चुकी है.
क्या कहते हैं हाट अधीक्षक
व्यापारियों की समस्याओं को लेकर बैठक की गयी है. हमने वरीय पदाधिकारियों को रिपोर्ट भेज दी है, लेकिन जब तक आदेश नहीं आता, तब तक कोई ठोस कार्रवाई संभव नहीं है. हमारे पास कोई स्वतंत्र फंड नहीं है.-मनोज कुमार, सीओ सह हाट अधीक्षक
वर्षवार राजस्व आंकड़े
साल राजस्व
2017-18 – 11,24,5002018-19 – 12,14,8502019-20 – 12,81,2502020-21 – 3,65,9002021-22 – 7,69,0002022-23 – 10 लाख (करीब)2023-24 – 14,30,000डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है