पाकुड़ : इस्लाम धर्मावलंबियों का पवित्र पर्व शब-ए-बरात जिले भर में सादगी पूर्वक मनाया गया. इस अवसर पर नमाज अदा की गयी तथा खुदा की इबादत की गयी. वहीं रात भर इबादत के बाद सुबह में कब्रिस्तान जाकर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए फातिया पढ़ा जायेगा.
बच्चों ने भी मनाया शब-ए-बरात
छोटे-छोटे बच्चों ने भी शब-ए-बरात मनाया. छह वर्षीय अदिबा शराफ ने बताया कि रात में नमाज अदा कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दुआ करूंगी. अली शब्बा परवीन ने बताया कि अपने रिश्तेदारों के लिए दुआएं मकफिरत करेंगे तथा अपने देश के लिए अमन-चैन की दुआ मांगेंगे. आफरिन शराफ ने बताया कि रात में नफील रोजा रखते है और इबादत में मसगुल रहते हैं.
अलतमस आबीत ने बताया कि अपने दोस्तों के साथ पूरी रात मसजिदों में जाकर नमाज अदा करेंगे. अलताफ ने बताया कि रात भर इबादत के बाद सुबह में कब्रिस्तान में जाकर मृतकों की आत्मा के शांति के लिए फातिया पढेंगे.
गुनाहों से तौबा की रात
हरिणडांगा जामा मसजिद के पेश इमाम मुफ्ती अब्दुल खालेक ने बताया कि शब-ए-बरात का शाब्दिक अर्थ होता है गुनाहों से छुटकारे की रात. यानी इस रात को जो भी मुसलमान सच्चे दिल से अपने गुनाहों से तोबा करता है, अल्लाह उसके सारे गुनाह माफ कर देते हैं. यह दिन खुद की ओर से उनके बंदों के लिए एक खास तोहफा माना जाता है. उन्होंने कहा कि शब-ए-बरात की रात में पूरे वर्ष मृत्यु पाने वाले व जन्म लेने वाले की सूची तैयार की जाती है.
जामे अतहरिया के पेश इमाम मौलाना अंजर कासमी ने कहा कि शब-ए-बरात में इसलाम धर्मावलंबियों को अपने पापों से प्रायश्चित करने का दिन है. जो इंसान दिल से अपने गुनाहों से तोबा करें, खुदा उसको माफ कर देता है.
इसलाम धर्म के पवित्र ग्रंथ हदीश में है कि शब-ए-बरात की रात में अल्लाह से अपनी गुनाहों को बख्शीश करायें तथा पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दुआ करें. हाटपाडा जामा मसजिद के पेश इमाम मो फेज अकरम ने कहा कि पूरी रात अल्लाह की बात करने के बाद फजर की नमाज के बाद कब्रिस्तान के जियारत करें और मरे हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दुआ करें.