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आदिवासी नाबालिग बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म का मामला : लोहरदगा जिले के माथे पर लग गया कलंक का टीका

भंडरा प्रखंड क्षेत्र में एक नाबालिग आदिवासी बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद यहां सिर्फ एक बच्ची का जीवन बर्बाद नहीं हुआ. बल्कि यहां के आपसी संबंध भी तार-तार हो गये.

जिले के भंडरा प्रखंड क्षेत्र में एक नाबालिग आदिवासी बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद यहां सिर्फ एक बच्ची का जीवन बर्बाद नहीं हुआ. बल्कि यहां के आपसी संबंध भी तार-तार हो गये. विश्वास की डोर टूट गयी और भाई बहन, दोस्त, अपनों का रिश्ता भी शर्मसार हो गया. सहज की अंदाजा लगाया जा सकता है कि करमा, सरहुल एवं अन्य अवसरो पर रात भर अखरा में मिलजुलकर नाच गान करने की परंपरा यहां प्राचीन काल से चली आ रही है.

लेकिन इसमें किसी तरह की कोई दुर्भावना नहीं होती थी. लेकिन अब कुछ समय से स्थितियां बदलर्यी है. गांव घर में बच्चियां अपनो से ही सुरक्षित नहीं है. इसका ताजा उदाहरण भंडरा में आदिवासी नाबालिग बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला है. आखिर हमारा समाज किधर जा रहा है, लोग किस पर विश्वास करें, अगल बगल आस पास में रहने वाले लोग ही हवस के भूखे हो गये हैं.

एक बच्ची के साथ ऐसी वीभत्स घटना इस क्षेत्र के लोगों को झकझोर कर रख दिया है. लोग अपने बच्चियों को घरों से बाहर भेजने में डरने लगे है. समाज के अगुवा कहे जाने वाले लोग ऐसी घटनाओं पर रहस्यमयी चुप्पी साधे हुए है. समाज का नेतृत्व करने वाले लोग चुप है. बाहर से नेता आकर घटना पर दुख जताकर लौट जा रहे हैं. लेकिन स्थानीय स्तर पर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सामाजिक स्तर पर कोई पहल नहीं किया जाना काफी आश्चर्यजनक बात है.

लोहरदगा जिला में इस तरह की घटना की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. लेकिन ऐसी घटना घट गयी और लोग अचंभित है. आदिवासी समाज में भोलापन और सादगी इनकी पहचान है. और ऐसे समाज में चंद लोग ऐसे है, जो भंडरा की घटना को अंजाम दिए है. कानून इन्हें सजा तो देगा ही लेकिन जो समाज में एक घिनौना काम कुछ लोगों के द्वारा किया गया है उसका जो प्रभाव है वह बराबर दिखता रहेगा.

ऐसी घटनाओं की जितनी भी निंदा की जाये, कम है. यह मात्र एक घटना नहीं है बल्कि ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों ने लोहरदगा जिले के माथे पर कलंक लगा दिया है. आज समाज में असुरक्षा की भावना बढ़ गयी है. लड़कियों के माता पिता सबसे ज्यादा परेशान है. उन्हें भय के साथ साथ चिंता भी सताने लगी है.

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