लोहरदगा़ गुरुकुल शांति आश्रम में स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती के बलिदान दिवस पर भव्य राष्ट्रघृत महायज्ञ और वैदिक गोष्ठी का आयोजन किया गया. ब्रह्मा आचार्य कृष्ण देव शास्त्री के सानिध्य में संपन्न यज्ञ में मुख्य यजमान पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी प्रवीण भारती ने राष्ट्र की सुख-शांति हेतु वेदमंत्रों के साथ आहुतियां प्रदान कीं. वीरता और स्वाभिमान की गाथा गोष्ठी में मुख्य वक्ता आचार्य गणेश शास्त्री ने स्वामी जी की निर्भीकता को याद करते हुए कहा कि दिल्ली के चांदनी चौक में उन्होंने अंग्रेजों की बंदूक के सामने सीना तानकर उन्हें चुनौती दी थी. उनकी निडरता के आगे ब्रिटिश हुकूमत को घुटने टेकने पड़े थे. पतंजलि प्रभारी प्रवीण भारती ने कहा कि महर्षि दयानंद और स्वामी श्रद्धानंद के विचार आज के युवाओं के लिए मार्गदर्शक हैं. मुख्य अतिथि प्रदीप हिंद ने नई पीढ़ी से अपनी संस्कृति की रक्षा हेतु इन महान विभूतियों के जीवन को आत्मसात करने की अपील की. क्रांतिकारियों की जननी : गुरुकुल कांगड़ी गुरुकुल के आचार्य शरदचंद्र आर्य ने बताया कि स्वामी जी द्वारा स्थापित गुरुकुल कांगड़ी क्रांतिकारियों का मुख्य केंद्र था. जब अंग्रेजों ने वहां ””””बम”””” होने का शक जताया, तो स्वामी जी ने ब्रह्मचारियों की ओर इशारा करते हुए कहा था यही हमारे बम हैं, जो अंग्रेज सरकार को मिट्टी में मिला देंगे. उन्होंने अधिकारियों को ””””सत्यार्थ प्रकाश”””” दिखाकर दंग कर दिया था. कृष्ण चैतन्य ब्रह्मचारी ने स्वामी जी के ””””शुद्धि आंदोलन”””” और उनके बलिदान की ऐतिहासिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. सम्मान और उपस्थिति : इस अवसर पर सेवानिवृत्त लाल बालकिशोर नाथ शाहदेव को महर्षि दयानंद का चित्र और अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का संचालन आचार्य आशीष कुमार आर्य ने किया. इस मौके पर ओम प्रकाश सिंह, पंकज गुप्ता, अनुग्रह नारायण, तुलसी राम, चमर राम, मनजीत शास्त्री, महेश शास्त्री, राजवीर जी, मीरा चौधरी, आर्य जितेंद्र भगत, योगेश प्रजापति, महादेव पहलवान, योगेंद्र आर्य, कृष्ण चंद सहित काफी संख्या में श्रद्धालु और ब्रह्मचारी उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

