भंडरा. भंडरा प्रखंड के ऐतिहासिक अखिलेश्वर धाम शिव मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. यहां सावन के महीने में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. अपनी प्रार्थना भगवान के समक्ष रखते हैं और भगवान भक्तों की प्रार्थना पूरी करते हैं. ऐतिहासिक अखिलेश्वर धाम के संदर्भ मे कहा जाता है कि आठवीं शताब्दी में रातू के महाराजा वैरीसाल द्वारा अखिलेश्वर धाम का निर्माण कराया गया था. उस समय अखिलेश्वर धाम में सोने का दरवाजा और घंटा हुआ करता था, परंतु मुगल काल में मंदिर में स्थापित शिवलिंग को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. साथ ही सोने के दरवाजे और घंटा की चोरी कर ली गयी थी. मान्यता यह भी है कि अखिलेश्वर धाम का निर्माण और मंदिर में नक्काशी का काम स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में की थी. इस मंदिर के नीचे दोनों ओर चट्टानों के बीच एक तालाब भी है. भक्तों को आकर्षित करती है तालाब में शिव भक्त स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं. साल भर लगा रहता है भक्तों का आना जाना मंदिर में भगवान भोलेनाथ की तीन फीट का शिवलिंग नीले रंग का है. मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना करते है. उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां राज्य के रांची, लोहरदगा-गुमला, लातेहार, पलामू सहित बंगाल, छत्तीसगढ़ के भी शिव भक्त सालों भर आते रहते हैं. सावन मास में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
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