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लोहरदगा के बस स्टैंड का हाल : 40 लाख का राजस्व देने वाला बस पड़ाव सुविधा विहीन

रेलवे साइडिंग में स्थित बस स्टैंड से सरकार को लगभग 40 लाख रुपये राजस्व सालाना प्राप्त होता है. लाखों रुपये राजस्व देने वाले बस स्टैंड में यात्रियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.

रेलवे साइडिंग में स्थित बस स्टैंड से सरकार को लगभग 40 लाख रुपये राजस्व सालाना प्राप्त होता है. लाखों रुपये राजस्व देने वाले बस स्टैंड में यात्रियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. बस स्टैंड में अंतरराजीय बसें भी रुकती है. दूसरे राज्यों से आ रहे यात्री कभी रात्रि विश्राम के लिए या शौच के लिए बस स्टैंड में जगह खोजते हैं, तो उन्हें न तो रात्रि विश्राम के लिए जगह मिलती है और न ही शौच के लिए बेहतर शौचालय.

यात्रियों की सुविधा का कोई ख्याल बस स्टैंड में नहीं रखा गया है. इससे यात्रियों को यहां रुकने में परेशानी होती है. बस स्टैंड की स्थिति भी बदहाल है. वाहनों को खड़ा करने की पर्याप्त जगह नहीं है, जिससे चालक वाहन को बेतरतीब तरीके से खड़े कर दिये जाते हैं. यात्रियों को वाहनों में चढ़ने-उतरने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बस स्टैंड में छोटे-बड़े वाहन खड़े होते हैं. बस स्टैंड से रोजाना 70 बसों का परिचालन होता है, जिसमें राज्य से बाहर आने-जाने वाली बसें भी शामिल हैं.

इसके अलावा लोहरदगा-रांची, लोहरदगा-गुमला, लोहरदगा-सिमडेगा समेत अन्य जगहों के लिए बसें चलती है. ग्रामीण इलाकों में चलनेवाली ग्रामीण बसों का ठहराव होता है. रोजाना इतनी संख्या में बसों का परिचालन होने के कारण बस स्टैंड में यात्रियों की संख्या काफी होती है. बस स्टैंड में सुविधा उपलब्ध नहीं होने से यात्रियों को बस की प्रतिक्षा करने के लिए खड़ा होने की जगह नहीं मिलती है. बस स्टैंड में जगह-जगह पानी जमा रहता है.

बस स्टैंड के अंदर दुकानें लगा दिये जाने से बसों को घुमाने व जगह देख कर खड़ा करने में परेशानी होती है. बस स्टैंड में बना टिकट काउंटर को आश्रय गृह बना दिये जाने के बाद लोगों को बरसात के मौसम और परेशानी का सामना करना होता है. पहले टिकट काउंटर के लिए बने भवन में लोग बस का इंतजार करते थे. पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से हल्की बारिश में पानी जमा हो जाता है. इस संबंध में एजेंटों से पूछने पर उन्होंने बताया कि बस स्टैंड के संवेदक द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.

यात्रियों की सुविधा व बस खड़ा करने, शौचालय समेत अन्य सुविधाओं की बात करने पर बात को टाल दिया जाता है. एजेंट एहसान कुरैशी ने बताया कि यहां बाहर से आनेवाले यात्रियों को परेशानी होती है. दूसरे राज्यों से लंबी सफर तय कर यहां उतरने वाले यात्रियों को न तो फ्रेश होने के लिए स्नानागार है और न ही साफ स्वच्छ शौचालय. एजेंट राजा ने बताया कि सुबह चार बजे से बसों का परिचालन शुरू हो जाता है, जो शाम 7.30 मिनट तक जारी रहता है.

यात्रियों के लिए एक शेड तक की व्यवस्था संवेदक द्वारा नहीं की गयी है, जिसमें खड़े होकर यात्री बस का इंतजार कर सकें. एजेंट सज्जाद खान का कहना है कि यहां यात्री सुविधा के नाम पर कुछ किया ही नहीं गया है. बस स्टैंड के अंदर बने गड्ढों को भी संवेदक द्वारा नहीं भरा जाता है. बस घुमाने व यात्रियों की सुविधा को देखते हुए आपसी चंदा कर एजेंट गड्ढों को भरवाते है, ताकि कोई दुर्घटना न हो.

एजेंट संजय सिन्हा ने बताया कि संवेदक लोगों द्वारा सिर्फ बसों, ऑटो व कमांडर से सिर्फ चुंगी के नाम पर पैसे वसूले जाते है. यहां न तो वाहनों की सुविधा का ख्याल रखा जाता है और ना ही यात्रियों का ख्याल रखा जाता है. इस संबंध में पूछे जाने पर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी देवेंद्र कुमार का कहना है कि बस स्टैंड के लिए जमीन की तलाश की जा रही है. जमीन मिलते लोहरदगा में सुव्यवस्थित बस पड़ाव बनाया जायेगा.

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