किस्को़ एक ओर सरकार ””””डिजिटल इंडिया”””” का ढोल पीट रही है, वहीं लोहरदगा जिले का पेशरार प्रखंड क्षेत्र आज भी संचार क्रांति के युग में आदिम दौर की ओर लौटता दिख रहा है. पेशरार प्रखंड मुख्यालय सहित पूरे क्षेत्र में पिछले एक सप्ताह से नेटवर्क सेवा पूरी तरह ठप है, जिससे सरकारी कामकाज से लेकर आम जनजीवन तक बुरी तरह प्रभावित हो गया है. पेशरार प्रखंड क्षेत्र में डिजिटल इंडिया का दावा खोखला साबित रहा है. अधिकारियों और कर्मियों की बढ़ी परेशानी : नेटवर्क के अभाव में प्रखंड व अंचल कार्यालय के साथ-साथ थाना परिसर में भी सन्नाटा पसरा हुआ है. स्थिति यह है कि अधिकारियों को छोटी से छोटी ई-मेल या रिपोर्ट भेजने के लिए भी नेटवर्क की तलाश में घंटों भटकना पड़ता है. बीडीओ ने बताया कि उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए ब्रॉडबैंड एसडीओ और जिला स्तरीय अधिकारियों को सूचना दे दी है, लेकिन अब तक समाधान नहीं हुआ है. विकास कार्यों पर लगा ””””ब्रेक”””” : नेटवर्क गायब होने के कारण प्रखंड में संचालित महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, जेएसएलपीएस और वृद्धावस्था पेंशन से संबंधित ऑनलाइन कार्य पूरी तरह बंद हैं. मजदूरों की हाजिरी नहीं लग पा रही है और न ही लाभुकों के भुगतान की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है. लापरवाही ने काटी संचार की डोर : जानकारी के अनुसार, बगड़ू-पेशरार सड़क किनारे पतरातू पावर ग्रिड से बिजली आपूर्ति के लिए पोल गाड़ने का काम चल रहा है. इस दौरान ड्रिल मशीन के अंधाधुंध इस्तेमाल से जमीन के नीचे बिछी बीएसएनएल ब्रॉडबैंड की केबल कई जगह से कट गयी है. इसी लापरवाही ने पूरे प्रखंड की कनेक्टिविटी को शून्य कर दिया है. निजी कंपनियों के नेटवर्क का भी बुरा हाल : स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र में टावर तो खड़े कर दिये गये हैं, लेकिन उनमें सिग्नल नहीं रहता. जियो जैसी बड़ी कंपनियों का नेटवर्क न होने के कारण लोग अन्य कंपनियों के भरोसे रहते हैं, जो अक्सर दगा दे जाती हैं. प्रखंड मुख्यालय में ब्रॉडबैंड ही एकमात्र सहारा था, जिसके ठप होने से अब कर्मी और आम जनता दोनों ही कार्यालयों के चक्कर काटने को विवश हैं. जनता की मांग : क्षेत्र के लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि बिजली विभाग और बीएसएनएल के बीच समन्वय स्थापित कर जल्द से जल्द केबल दुरुस्त करायी जाये, ताकि ठप पड़े जनहित के कार्य फिर से शुरू हो सकें.
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