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एक-एक शिक्षक के सहारे नौ नव प्रावि

भंडरा/लोहरदगा : जिले के भंडरा प्रखंड में शिक्षा के नाम पर विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. यहां विद्यालय तो खोल दिये गये हैं, लेकिन शिक्षक नदारत हैं. भंडरा प्रखंड में नौ नव प्राथमिक विद्यालय एवं पांच मध्य विद्यालय एक-एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं. विद्यालय में बच्चों के अनुपात के […]

भंडरा/लोहरदगा : जिले के भंडरा प्रखंड में शिक्षा के नाम पर विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. यहां विद्यालय तो खोल दिये गये हैं, लेकिन शिक्षक नदारत हैं. भंडरा प्रखंड में नौ नव प्राथमिक विद्यालय एवं पांच मध्य विद्यालय एक-एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं. विद्यालय में बच्चों के अनुपात के आधार पर शिक्षक नहीं हैं. जबकि नव प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पांच तक छात्र पढ़ते हैं.
मध्य विद्यालय में एक शिक्षक पदस्थापित है और यहां सात कक्षाएं संचालित होती हैं. इसके कारण विद्यालयों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहे हैं. अभिभावक अपने बच्चों के शिक्षा को लेकर चिंतित हैं. भंडरा प्रखंड में बैमारी, नवडीहा, नवडीहा, छोटकी टोली, वकील अंबवा, बमनडीहा, नदी टोली मसमानो, सोरंदा पतराटोली, पंडरिया टाना टोली नव प्राथमिक विद्यालय में मात्र एक-एक शिक्षक हैं. मध्य विद्यालय धनामुंजी, उर्दू मवि भंडरा, मवि बुड़का, पलमी टंगरा टोली एवं तिलसीरी में भी एक-एक शिक्षक हैं.
यह हाल विद्यालयों का वर्षों से चल रहा है. नव प्राथमिक विद्यालय बुची टोली के दोनों शिक्षकों के रिजाइन किये जाने के बाद दूसरे विद्यालय से शिक्षक प्रतिनियुक्त कर विद्यालय संचालित करवाया जा रहा है. नव प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ती की कोई संभावना नहीं बन रही है.
पारा शिक्षकों के चयन बंद होने के बाद इन विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ती की संभावना नहीं है. विद्यार्थी विद्यालय तो पहुंचते हैं, लेकिन वहां पढ़ाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है. अभिभावक सोचते हैं कि उनके बच्चे भविष्य बनाने के लिए विद्यालय गये हैं, लेकिन वहां तो सात कक्षाएं एक शिक्षक के भरोसे है और सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सात कक्षाओं का संचालन एक शिक्षक कैसे करता होगा.
शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी : बीइइओ
भंडरा में पदस्थापित प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार के निर्देश के आलोक में पारा शिक्षकों के चयन पर रोक लगाया गया है. नव प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करना संभव नहीं है. प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ती की प्रक्रिया जारी है.
खानापूर्ति ठीक नहीं
क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि जब नव प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक पर्याप्त संख्या में नहीं हैं तो वैसे विद्यालयों को संचालित करने का मतलब समझ में नहीं आता है. बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए. पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति करने की परंपरा को बंद करनी पड़ेगी.

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