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पर्व-त्योहार हमारी परंपरा और संस्कृति की पहचान है

लोहरदगा : प्रकृति पर्व सरहुल प्रखंड के कैरो में धूमधाम के साथ मनाया गया. सरहुल पर्व पाहन महादेव उरांव, पुजार सुरेंद्र उरांव, महतो तोनेया उरांव ने परंपरा के अनुसार झखरा स्थल पर विधिवत पूजा-अर्चना करायी. झखरा स्थल से शोभा यात्रा निकाली गयी. शोभा यात्रा में उतका, जमुंटोली, सुकरहुतु, एड़ादोन, नरौली, खंडा, गजनी, चाल्हो, गोपलगंज, सढ़ाबे, […]

लोहरदगा : प्रकृति पर्व सरहुल प्रखंड के कैरो में धूमधाम के साथ मनाया गया. सरहुल पर्व पाहन महादेव उरांव, पुजार सुरेंद्र उरांव, महतो तोनेया उरांव ने परंपरा के अनुसार झखरा स्थल पर विधिवत पूजा-अर्चना करायी. झखरा स्थल से शोभा यात्रा निकाली गयी. शोभा यात्रा में उतका, जमुंटोली, सुकरहुतु, एड़ादोन, नरौली, खंडा, गजनी, चाल्हो, गोपलगंज, सढ़ाबे, टाटी, खरता, नगड़ा सरना समिति, जिंगी, तान, हुदू, गितिलगढ़, पचागाई खोड़हा दल शामिल थे.

सरहुल महोत्सव में भाजपा एसटी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री बिंदेश्वर उरांव, जिला अध्यक्ष राजमोहन राम, कांग्रेस पार्टी जिला युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष सुमित कुमार, कैरो पंचायत समिति सदस्य शरत कुमार विद्यार्थी सहित अन्य अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र तथा बैच पहना कर किया गया.

खोड़हा दल एमएसजी म्यूजिकल ग्रुप ने गीत-संगीत तथा ढोल-नगाड़े की थाप पर पारंपरिक नाच- गान करते हुए साहू मुहल्ला, मुख्य चौक होते जेठ जतरा टांड़ पहुंच कर मेले के रूप में तब्दील हो गयी. मेला टांड़ में भी विधिवत पूजा-अर्चना की गयी. मौके पर बिंदेश्वर उरांव ने कहा कि सरहुल पर्व में प्रकृति की पूजा की जाती है.

वृक्षों में नये पत्ते उग आते हैं. सरहुल के त्योहार में सखुआ फूल की पूजा कर आने वाले वर्ष में खुशियां लेकर आने की कामना की जाती है. सरहुल पर प्रकृति की पूजा कर निरोग रहने की कामना भी की जाती है. उन्होंने कहा कि पर्व-त्योहार हमारी परंपरा व संस्कृति की पहचान है. इसे जीवंत बनाये रखना हम सब की जिम्मेवारी है.

हमें मिल-जुल कर आपसी सौहार्द के साथ त्योहार मनाना चाहिए. आज कला संस्कृति को बचाये रखने की जरूरत है, प्रकृति का पर्व सभी के लिए है, सभी मिल-जुल कर सारे भेदभाव को मिटा कर एकता का परिचय देते हुए पर्व त्योहार मनायें. कार्यक्रम को बजरंग उरांव, शरत कुमार विद्यार्थी ने भी संबोधित किया. मौके पर मुखिया विजय कुमार एक्का,पिंकी उरांव, गौतरी देवी, करमचंद भगत,विकास उरांव, तिला उरांव, मनोज उरांव, बाबूलाल उरांव,बुधराम उरांव, वीरेंद्र महली, जोगेंद्र उरांव,सत्यनारायण उरांव, काली उरांव, सूरज मोहन साहू, कैलाश महतो सहित काफी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल थे.

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