चंदवा. स्थानीय वन विभाग कार्यालय परिसर में रविवार को पशुजनीत रोग से बचाव को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में डीएफओ प्रवेश अग्रवाल, पशुपालन पदाधिकारी डॉ सरोज केरकेट्टा, बोकारो से पशु चिकित्सक डॉ अशोक कुमार, रेंजर नंद कुमार मेहता मौजूद थे. डीएफओ ने कहा कि पशुओं में अनेक तरह के रोग होते हैं. कई बार पशुपालकों को इसकी जानकारी नहीं होती है. वन विभाग की ओर से इन रोगों की जानकारी, रोकथाम व उपचार को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस दौरान वन विभाग की ओर से पशु मालिकों के बीच पशुधन किट वितरित किये गये. पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सरोज केरकेट्टा ने कहा कि जीवाणु जनित वायरस व परजीवी रोगों के बारे में जानकारी जरूरी है. रोगों में खूरपका, मुंहपका रोग, एंथ्रेक्स, लंगड़ा बुखार, गलघोंटू व थनैला रोग महत्वपूर्ण है. इन रोगों के लक्षण, रोकथाम व उपचार की जानकारी दी गयी. समय पर पशुओं को रोगों से बचाने के लिए टीकाकरण करने की बात कही. कहा कि किसान मुख्यमंत्री पशुधन योजना का भी लाभ जरूर लें. बोकारो से आये चिकित्सक श्री कुमार ने बताया कि पशु में अनेकों बीमारियां हो सकती है. जंगली पशु के काटने से पशु को बचाना नामुमकिन है, पर बीमारियों से बचाया जा सकता है. पशु में भी टीवी रोग होते हैं. इसके लिए उन्हें खान-पान व विटामिन देकर स्वस्थ रखें. जोंक की समस्या होने पर हर छह माह पर दवा दें. इससे उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. वैक्सीनेशन से आंतरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. बताया कि भारत सरकार की पहल पर सीएमडी जैसी बीमारियों को राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 2030 तक जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है. मौके पर वनकर्मी सतीश पांडेय, सुनील कच्छप, अनिल कुमार, अनुराग पांडेय, लव झा, आलोक तिग्गा, विरेंद्र कुमार समेत दर्जनों पशुपालक मौजूद थे.
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