बरवाडीह़ प्रखंड के चपरी गांव में लगने वाला ऐतिहासिक चपरी जतरा मेला इस वर्ष भी पारंपरिक रीति–रिवाजों के साथ आयोजित किया जा रहा है. मेला को लेकर गांव और आसपास के क्षेत्रों में उत्साह है. हर वर्ष अगहन पूर्णिमा के दिन गांव के बैगा–पाहन द्वारा पारंपरिक बलि पूजन की जाती है. वर्षों पुरानी मान्यता के अनुसार इस पूजा के अगले दिन से मेला का विधिवत आयोजन शुरू होता है. जो तीन दिनों तक चलेगा. मेला को भव्य बनाने के लिए झूला, मौत का कुआं, तरह–तरह के मनोरंजक स्टॉल तथा बच्चों के खेल उपकरण को लेकर व्यापारी और कलाकार एक सप्ताह पूर्व से ही मेला परिसर पहुंचने लगे हैं. मेला मैदान में दुकानों के लिए जगह चिह्नित कर दी गयी है और चारों ओर सजावट का कार्य जारी है. मेला समिति के सदस्य मनोज प्रसाद ने बताया कि चपरी जतरा मेला सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति, परंपरा और आपसी सद्भाव को भी मजबूत करता है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यह मेला कई दशकों से लगातार लगता आ रहा है और स्थानीय पहचान बन चुका है. प्रशासन की ओर से भी व्यवस्था को लेकर तैयारी शुरू कर दी गयी है ताकि लोगों को किसी भी तरह की परेशानी न हो.
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