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बगैर लाइसेंस चल रहे हैं 16 क्रशर
सुनील कुमार लातेहार : बेतला नेशनल पार्क एरिया में इन दिनों 16 अवैध क्रशर चलाये जा रहे हैं. यह अवैध क्रशर दिन भर तो बंद रहते हैं, लेकिन देर शाम होते ही इसका संचालन शुरू होता है, जो अहले सुबह तक चलता है. पत्थरों को डायनामाइट से तोड़ने से होनेवाले विस्फोट के कारण बफर एरिया […]
सुनील कुमार
लातेहार : बेतला नेशनल पार्क एरिया में इन दिनों 16 अवैध क्रशर चलाये जा रहे हैं. यह अवैध क्रशर दिन भर तो बंद रहते हैं, लेकिन देर शाम होते ही इसका संचालन शुरू होता है, जो अहले सुबह तक चलता है.
पत्थरों को डायनामाइट से तोड़ने से होनेवाले विस्फोट के कारण बफर एरिया के जानवर जंगल छोड़ कर सड़कों में शरण लिए होते हैं. एक ओर विस्फोट एवं क्रशरों की तेज आवाज का भय तो दूसरी ओर वाहनों के तेज रोशनी एवं शिकारियों का भय से जंगली जानवरों को काफी मुश्किलें हो रही है. आश्चर्य तो यह है कि बफर एरिया अंतर्गत पड़ने वाला बेतला, बरवाडीह, गारू, बारेसांढ़, महुआडांड़ तथा नेतरहाट क्षेत्र में करीब सौ करोड़ रुपये की सरकारी निर्माण की योजनाएं संचालित हैं, इस इलाके में एक भी लाइसेंसीधारी क्रशर प्लांट नहीं हैं.
नेतरहाट आवासीय विद्यालय में लगभग 38 करोड़ रुपये लागत से भवन निर्माण का काम चल रहा है, जहां करीब तीन करोड़ रुपये का बोल्डर एवं चिप्स का भुगतान का वाउचर गत वित्तीय वर्ष में लगाये गये हैं. बताया जाता है इन क्रशरों से प्रतिदिन लगभग एक हजार मिट्रिक टन चिप्स तैयार किये जाते हैं. पत्थर माफियाओं के हौसले का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस बफर एरिया में दिन में भी परिवहन पर पाबंदी है कई चेकनाका पर इंट्री के बाद ही परिवहन की अनुमति मिलती है, वहां रात भर क्रशरों की आवाज गूंज रही है और डायनामाइट का विस्फोट हो रहा है. ग्रामीणों की मानें तो उनका कहना है कि जब तक माओवादी थे. वन संपदा एवं बालू पत्थर सुरक्षित थे, उनके हटते ही यहां माफियाओं का राज कायम हो गया है.
फरवरी 2012 में सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश पारित किया था
27 फरवरी 2012 अवैध उत्खनन को रोकने की मांग पर सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका पर फैसला आया था, जिसमें अवैध पत्थर उत्खनन को रोकने का आदेश जिला प्रशासन को आया था.
शुरूआती दौर में दस क्रशरों को सील भी किया गया लेकिन कोई खास कार्रवाई नहीं हुई और क्रशर वर्तमान समय तक संचालित हैं. तत्कालीन सहायक जिला खनन पदाधिकारी एसएन सिंह ने पत्रांक 306 दिनांक 11.05.12 को जारी कर इन प्लांटों को बंद करने का आदेश जारी किया था, लेकिन यह निष्प्रभावी रहा. बताया जाता है कि निर्माण कार्य को पूर्ण करने के लिए प्रशासन आंख मूंद कर इस गलत कार्य को बढ़ावा देती है, नतीजा बफर एरिया के वन्य प्राणियों के अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है.
क्या कहते हैं अधिकारी
बफर एरिया के डीएफओ एमके महालिंगम का कहना है कि बफर एरिया में कोई भी क्रशर संचालित नहीं है. पूर्व में दस क्रशरों पर कार्रवाई की गयी थी. यदि ऐसा पुन: शुरू हुआ तो यह विधि सम्मत कार्रवाई होगी.
एक भी लाइसेंसधारी नहीं
सहायक जिला खनन पदाधिकारी रामनरेश सिंह का कहना है कि बेतला से नेतरहाट तक एक भी लाइसेंस धारी क्रशर प्लांट नहीं है, जबकि 16 क्रशर अवैध रूप से स्थापित हैं.खनन विभाग द्वारा किसी भी क्रशर को लाइसेंस नहीं दिया गया है. श्री सिंह का आगे कहना है कि उन्हें सूचना मिली है कि महुआडांड़ अनुमंडल क्षेत्र में तीन-चार क्रशर प्लांट रात की अंधेरे में चलाया जा रहा है और रात में ही चिप्स गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है. उन्होने कहा कि इस सूचना के सत्यापन होते ही कार्रवाई होगी. शेष क्रशरों को बगैर एनओसी के अवैध रूप से स्थापित किये गये हैं.
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