लातेहार : सदर प्रखंड के ओरवाई व हरतुआ गांव में पहली बार बिजली वर्ष 2010-11 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत पहुंची. दोनों गांव के 97 उपभोक्ताओं को कनेक्शन दिया गया. कुछ सालों बाद एक-एक कर ट्रांसफारमर जलने लगे. वर्ष 2013 तक एक भी ट्रांसफारमर सही नहीं रहा और ग्रामीण पुन: ढिबरी युग में वापस आ गये. लेकिन बिजली बिल उन्हें प्रत्येक माह भेजा जाता रहा.
इसके बाद बिजली विभाग के आग्रह पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने सभी उपभोक्ताओं को नोटिस भेजा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में बिजली बिल चुकता करायें. प्रति कनेक्शन 10577 रुपये चुकता कराने का नोटिस भेजा गया. शनिवार को व्यवहार न्यायालय में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में ग्रामीणों ने पहुंच कर अपनी व्यथा सुनायी. ग्रामीणों ने बिजली बिल माफ करते हुए विद्युत सेवा बहाल करने की मांग की.
बिजली के अभाव में बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित : आरेवाई ग्राम के दुर्गा सिंह का कहना है कि पिछले तीन वर्षों से उन्हें बिजली नहीं मिली है. खेती भी प्रभावित हुई है, बच्चे भी नहीं पढ़ पाते हैं. फिर भी बिजली बिल भेजा जा रहा है. महेश उरांव ने कहा कि बिजली गांव में आने से पंखा की आदत लग गयी थी, लेकिन पिछले तीन वर्षों से वे पुराने जमाने में लौट गये हैं. गणेश सिंह कहते हैं कि बच्चों को लालटेन में पढ़ना पढ़ रहा है.
असराम सिंह, अनुरोध सिंह, नंदकिशोर सिंह कहते हैं कि ट्रांसफारमर बदलने की मांग करते करते वे थक चुके हैं. लेकिन ट्रांसफारमर नहीं बदला जा रहा है. हरतुआ ग्राम निवासी बंधन सिंह, राजकिशोर सिंह, बालदेव सिंह, महेश्वर सिंह का कहना है कि बिजली नहीं रहने से वे सब्जी की खेती नहीं कर पा रहे हैं. बरसाती पानी पर उन्हें निर्भर रहना पड़ रहा है. छात्र गुमानी सिंह, विनोद सिंह, प्रमेश्वर उरांव, रागनी कुमारी व उषा कुमारी का कहना है कि बिजली के अभाव में उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
मोबाइल चार्ज कराने के लिए तरवाडीह रोज आना जाना पड़ता है, चार्जिंग के लिए पैसे भी देने पड़ते हैं.
आंदोलन करने की जरूरत: मुखिया : तरवाडीह के मुखिया जुलेश्वर लोहरा का कहना है कि बिना बिजली का इस्तेमाल किये विभाग द्वारा 10577 रुपये प्रति कनेक्शन बिजली बिल भेजना गलत है. कई बार विभागीय अधिकारियों से शिकायतें भी की गयी, लेकिन समाधान नहीं हो रहा है. ऐसे में आंदोलन की जरूरत है.