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केडू गांव पहुंच पीड़ित परिवारों से मिली टीम

हेरहंज : प्रखंड के सेरेनदाग पंचायत अंतर्गत केडू गांव में 94 दिनों के अंदर सात बच्चों की मौत का मामला प्रभात खबर के माध्यम से सामने आने के छठे दिन गुरुवार को रिम्स रांची की टीम केडू गांव पहुंची. इस पूरे मामले पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लिया है. उनके निर्देश पर […]

हेरहंज : प्रखंड के सेरेनदाग पंचायत अंतर्गत केडू गांव में 94 दिनों के अंदर सात बच्चों की मौत का मामला प्रभात खबर के माध्यम से सामने आने के छठे दिन गुरुवार को रिम्स रांची की टीम केडू गांव पहुंची. इस पूरे मामले पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लिया है. उनके निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी के आदेश पर रिम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम केडू गांव पहुंची थी.

चार सदस्यीय टीम में माइक्रो बायोलाजिस्ट साइंटिस्ट डाॅ प्रियदर्शी, शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ प्रथा चौधरी, पीएसएम डाॅ देवेश व लैब टेक्नीशियन डाॅ मिस्टर जुल्फी गुनाली भुट्टो मौजूद थे. टीम के साथ बालूमाथ प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अशोक ओड़िया, लैब टेक्नीशियन निरंजन कुमार, संजय कुमार, एमटीएस पंकज कुमार समेत अन्य चिकित्सा कर्मी उपलब्ध थे. गांव पहुंच टीम के सदस्यों ने सभी मृत बच्चों के परिजनों से मुलाकात की.

इसके बाद उनके घरों को देखते हुए आसपास के माहौल की जानकारी ली. टीम ने गांव के चार बच्चों का ब्लड सैंपल लिया. वहीं गांव में लगे दो चापानल के पानी का सैंपल भी जांच हेतु रिम्स ले जाने की बात कही. शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ चौधरी ने बताया कि पूर्व में जिन बच्चों के ब्लड जांच हेतु यहां से भेजा गया था, वह निगेटिव आया था.

गुरुवार को फिर से जांच हेतु ब्लड व पीने के पानी का सैंपल लिया गया है. जांच के बाद भी कुछ कहा जा सकता है. इस दौरान केडू गांव वालों ने टीम से गांव में स्वास्थ्य केंद्र निर्माण की मांग की. टीम के सदस्यों ने कहा कि वे उनकी मांग को उच्चाधिकारियों के समझ रखेंगे. मौके पर काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.

मौत का कोई महत्वपूर्ण कारण रहा होगा : डाॅ प्रथा
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रथा चौधरी ने कहा कि एक मृत बच्चे की उम्र तीन वर्ष की थी. बच्चे के परिजनों से बातचीत के दौरान यह बात सामने आयी है कि मृत्यु के पूर्व बच्चे ने परिजनों को यह कहा था कि गला दबाने जैसा प्रतीत हो रहा है. पूरी स्थिति की जांच के बाद भी पता चल पायेगा कि बच्चों के मौत का कारण क्या है.
वैसे अगर फेफड़े व किडनी में पानी भर जाये, तो ऐसा प्रतीत होता है. इसे एक्सफेक्शिया कहते है. एक मां ने बताया कि बच्चे की मौत से पूर्व वह नीला हो गया था. मौत के बाद उसका रंग पीला पड़ गया था. इससे पता चलता है कि मौत का कोई महत्वपूर्ण कारण रहा होगा. अगर इंफेक्शन होता, तो मौत के पूर्व चिकित्सा के लिए समय जरूर मिलता. ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल जाने तक का भी समय नहीं मिला. ऐसे में मौत आम नहीं है. पूरे मामले की जांच जारी है.
हेरहंज : प्रखंड के सेरेनदाग पंचायत अंतर्गत केडू गांव में 94 दिनों के अंदर सात बच्चों की मौत का मामला प्रभात खबर के माध्यम से सामने आने के छठे दिन गुरुवार को रिम्स रांची की टीम केडू गांव पहुंची. इस पूरे मामले पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लिया है. उनके निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी के आदेश पर रिम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम केडू गांव पहुंची थी.
चार सदस्यीय टीम में माइक्रो बायोलाजिस्ट साइंटिस्ट डाॅ प्रियदर्शी, शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ प्रथा चौधरी, पीएसएम डाॅ देवेश व लैब टेक्नीशियन डाॅ मिस्टर जुल्फी गुनाली भुट्टो मौजूद थे. टीम के साथ बालूमाथ प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अशोक ओड़िया, लैब टेक्नीशियन निरंजन कुमार, संजय कुमार, एमटीएस पंकज कुमार समेत अन्य चिकित्सा कर्मी उपलब्ध थे. गांव पहुंच टीम के सदस्यों ने सभी मृत बच्चों के परिजनों से मुलाकात की.
इसके बाद उनके घरों को देखते हुए आसपास के माहौल की जानकारी ली. टीम ने गांव के चार बच्चों का ब्लड सैंपल लिया. वहीं गांव में लगे दो चापानल के पानी का सैंपल भी जांच हेतु रिम्स ले जाने की बात कही. शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ चौधरी ने बताया कि पूर्व में जिन बच्चों के ब्लड जांच हेतु यहां से भेजा गया था, वह निगेटिव आया था. गुरुवार को फिर से जांच हेतु ब्लड व पीने के पानी का सैंपल लिया गया है.
जांच के बाद भी कुछ कहा जा सकता है. इस दौरान केडू गांव वालों ने टीम से गांव में स्वास्थ्य केंद्र निर्माण की मांग की. टीम के सदस्यों ने कहा कि वे उनकी मांग को उच्चाधिकारियों के समझ रखेंगे. मौके पर काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.
मौत का कोई महत्वपूर्ण कारण रहा होगा : डाॅ प्रथा
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रथा चौधरी ने कहा कि एक मृत बच्चे की उम्र तीन वर्ष की थी. बच्चे के परिजनों से बातचीत के दौरान यह बात सामने आयी है कि मृत्यु के पूर्व बच्चे ने परिजनों को यह कहा था कि गला दबाने जैसा प्रतीत हो रहा है. पूरी स्थिति की जांच के बाद भी पता चल पायेगा कि बच्चों के मौत का कारण क्या है. वैसे अगर फेफड़े व किडनी में पानी भर जाये, तो ऐसा प्रतीत होता है. इसे एक्सफेक्शिया कहते है. एक मां ने बताया कि बच्चे की मौत से पूर्व वह नीला हो गया था.
मौत के बाद उसका रंग पीला पड़ गया था. इससे पता चलता है कि मौत का कोई महत्वपूर्ण कारण रहा होगा. अगर इंफेक्शन होता, तो मौत के पूर्व चिकित्सा के लिए समय जरूर मिलता. ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल जाने तक का भी समय नहीं मिला. ऐसे में मौत आम नहीं है. पूरे मामले की जांच जारी है.

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