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संविधान ही देश की बाइबिल और गीता है : न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन

महुआडांड़ : झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन ने कहा कि संविधान ही देश की बाइबिल और गीता है. संविधान की प्रस्तावना में प्रत्येक देशवासी को न्याय और बराबरी का हक मिले इसका उल्लेख किया गया है और इसी उदेश्य की पूर्ति के लिए इस शिविर का आयोजन किया गया है. […]

महुआडांड़ : झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन ने कहा कि संविधान ही देश की बाइबिल और गीता है. संविधान की प्रस्तावना में प्रत्येक देशवासी को न्याय और बराबरी का हक मिले इसका उल्लेख किया गया है और इसी उदेश्य की पूर्ति के लिए इस शिविर का आयोजन किया गया है.

न्यायमूर्ति डॉ रंजन अनुमंडल कार्यालय परिसर में आयोजित विधिक जागरुकता सह सशक्तिकरण शिविर को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. उन्‍होंने कहा कि न्याय के कई पहलू हैं. एक पहलू यह कि एक न्यायिक व्यवस्था हो, जिसके तहत सभी लोग न्यायालय में जा सकें. उनके मामलों का निस्तारण हो और उन्हें न्याय दी जाए. न्याय का दूसरा पहलू यह भी है कि हर व्यक्ति के साथ न्याय हो. संविधान के द्वारा प्रदत्त सारी सुविधाएं उन्हें प्राप्त हो.

उन्‍होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि देश में विकास नहीं हुआ है. देश काफी आगे बढ़ा है. लेकिन इस विकास के क्रम में समाज के जो लोग पीछे छूट गये, उन लोगों को आगे ले आना ही भारतीय संविधान की आत्मा है. संविधान के द्वारा प्रदत्त हक व सुविधाएं बहाल कराना ही हम सबका उदेश्य है. हमारा उदेश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना है. इसके लिए नालसा, झालसा व डालसा सक्रिय है.

उन्‍होंने कहा कि सरकारें कल्याणकारी योजनाएं चलाती है और आप उन योजनाओं के हकदार हैं लेकिन आप तक यह नहीं पहुंच पा रही हैं तो हम इसे पहुंचायेंगे. ऐसे शिविर और लगाये जाने चाहिए और वैसी दुरूह जगहों पर लगायी जानी चाहिए जहां कोई नहीं पहुंचा हो. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विष्णुकांत सहाय ने बुके भेंट कर न्यायमूर्ति डॉ रंजन का स्वागत किया.

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