डीआइजी ने कहा- नक्सली हथियार छोड़ें, अन्यथा पुलिस के गोलियों का निशाना बनेगें
ब्रह्मदेव ने कहा- आर्थिक तंगी के कारण 1990 में माओवादियों से जुड़ा था, 2010 में टीपीसी में शामिल हुआ
आशीष टैगोर@लातेहार
पलामू प्रक्षेत्र पुलिस उप महानिरीक्षक विपुल शुक्ला ने कहा कि उग्रवादी एवं नक्सली हथियार छोडें, नहीं तो वे पुलिस की गोलियों का निशाना बनेगें. उन्होंने कहा कि सरकार की आत्मसमर्पण पुर्नवास नीति से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौटे उग्रवादी व नक्सलियों का स्वागत किया जायेगा. डीआइजी शुक्ला शहर के डालडा फैक्टरी स्थित सीआरपीएफ के 11वीं बटालियन के सभागार में टीपीसी के सब जोनल कमांडर ब्रह्मदेव गंजू उर्फ भगत जी के आत्मसमर्पण के अवसर पर बोल रहे थे.
मौके पर पुलिस अधीक्षक प्रशांत आनंद, सीआरपीएफ के 11 वीं बटालियन के कमांडेंट विनय त्रिपाठी व 214 वीं बटालियन के कमांडेंट अजय कुमार मुख्य रूप से उपस्थित थे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीआईजी ने कहा कि सरकार द्वारा बनाये गये पुनर्वास नीति के तहत अब तक 12 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं. इससे जाहिर होता है कि अब उग्रवादी व नक्सलियों का पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन पर भरोसा बढ़ रहा है.
डीआइजी ने मुख्यधारा से भटके लोगों से समाज के मुख्यधारा में लौट कर समाज व राष्ट्र के विकास में अपना सहयोग प्रदान करने की अपील की. उन्होंने कहा कि नक्सली चारों तरफ से घिरे हुए हैं आत्मसमर्पण ही एक मात्र विकल्प है. मौके पर एसपी प्रशांत आनंद ने कहा कि हथियार के रास्ता छोड़ शांति का रास्ता अपनायें. हथियार के बल पर परिवर्तन संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि अब सरकार पुनर्वास नीति में संशोधन करते हुए राशि में भी बढ़ोतरी की गयी है. परिवार व बच्चे की परवरिश के लिए भी अन्य कई सुविधायें दिया जा रहा है.
कमांडेंट विनय त्रिपाठी एवं अजय कुमार ने भी कहा कि हथियार से किसी भी तरह के समस्या हल नहीं हो सकती है. उन्होंने बताया कि सीआरपीएफ का छापामारी अभियान लगातार जारी रहेगा. उग्रवादी अब निशाने पर हैं आत्मसमर्पण ही एक रास्ता है. अनुमंडल पदाधिकारी जयप्रकाश झा ने कहा कि सरकार लगातार नक्सलियों को पुर्नवास निती के तहत सरेंडर करने का अच्छा मौका वह सरेंडर कर विकास के राह पर चलें.
मौके पर 214 के द्वितीय कमान अधिकारी मनीष कुमार, विपुल पांडेय, पी खरमुदई समेत कई पुलिस के अधिकारी व जवान शामिल थे. इससे पहले टीपीसी के सब जोनल कमांडर ब्रह्रदेव गंझू उर्फ भगत जी ने डीआईजी विपुल शुक्ला के समक्ष आत्मसमर्पण किया. अधिकारियों ने उसका माल्यापर्ण कर समाज की मुख्य धारा में स्वागत किया. मौके पर ब्रह्मदेव गंझू की पत्नी सविता देवी, बेटा सचिन कुमार व सौरभ कुमार का भी स्वागत किया गया.
समाज के विकास में अपना सहयोग देगें : ब्रह्मदेव गंझू
ब्रह्मदेव गंझू उर्फ भगत जी ने आत्मसमर्पण के बाद कहा कि आर्थिक तंगी के कारण नक्सली संगठन में गया था. लेकिन अब लगा कि हथियार के बदौलत न्याय नहीं मिल सकता है. इसलिए संगठन को छोड़ समाज की सेवा में अपना समय देने के लिए आत्मसर्पण किया है. संगठन गलत नीतियों पर चल रहा है और काफी कमजोर भी हुआ है. आत्मसर्पण करने में पुलिस प्रशासन और पत्नी की अहम भूमिका रही है. उन्होंने समाज में भटके हुए साथियों से मुख्यधारा में लौट कर समाज के सेवा करने की अपील की है.
उसने कहा कि 1990 में भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हुए थे. संगठन में रहते संगठन की ही सविता देवी से प्रेम हो गया लेकिन संगठन द्वारा शादी नहीं करने दिया गया. 2004 में संगठन छोड़ सविता के साथ शादी रचाकर खेती बारी करने लगा. लेकिन 2010 में टीपीसी संगठन के मुकेश जी उर्फ मुनेश्वर गंजू ने प्रभावित कर टीपीसी में शामिल कराया. संगठन द्वारा 2011 में सब जोनल कमांडर बनाया गया और वह बालूमाथ उत्तरी एरिया का कमान देख रहा था.
टीपीसी के सब जोनल कमांडर ब्रह्मदेव गंझू उर्फ भगत जी पर तीन केस दर्ज है. चंदवा थाना के एक व सिमरिया थाना में दो केस दर्ज हैं.

