बच्चे स्कूल आते हैं. उन्हीं में से कोई शिक्षक बन जाते हैं और किसी तरह समय गुजार कर घर लौट जाते हैं. प्राचार्य ने बताया कि मैट्रिक परीक्षा मे बेहतर परिणाम के लिए उनके विद्यालय को लगातार पुरस्कार भी मिलता है. जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों से विद्यालय की स्थिति सुधारने का सैकड़ों बार ग्रामीणों ने आग्रह किया, मगर स्थिति नहीं बदली. विद्यार्थियों ने बताया कि सरकार शिक्षा के प्रति रोज बड़े बड़े वादे करती है. सभी अखबार और टीवी तक ही सीमित रह जाता है.
उन्होंने कहा कि रहमानिया प्लस टू उच्च विद्यालय इसका जीता जागता सबूत है. सिर्फ उच्च विद्यालय के लिए 10 शिक्षक का पद स्वीकृत है, जिसमें सिर्फ एक कार्यरत है. इसके अलावा 11 व 12 के लिए अलग से शिक्षक की आवश्यकता होगी, जबकि 11 व 12 क्लास के लिए एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं किये गये हैंं. एक माह पूर्व स्थानीय विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने जल्द शिक्षक की व्यवस्था कराने का वादा किया था. मगर स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया.
10वीं की छात्र साजिया परवीन ने बताया कि सभी विद्यार्थी प्रति दिन विद्यालय आते हैं. उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों में से ही एक शिक्षक बनकर मिलजुल कर पढ़ाई करते हैंं. अजीत पाल ने बताया कि शिक्षक नहीं रहने की वजह से गांव के पढ़े लिखे लोग भी विद्यालय में नि:शुल्क सेवा दे रहे हैंं. प्राचार्य मनोज कुमार ने बताया कि प्रत्येक वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में राज्य स्तर पर रहमानिया उवि टॉप टेन में आता है. उन्होंने बताया कि इसी वर्ष से प्लस टू का नामांकन शुरू किया गया है. प्लस टू का दर्जा तो विद्यालय को मिला, मगर एक भी शिक्षक नहीं मिले. उन्होंने बताया कि इससे काफी परेशानी होती है.