जयनगर. लगातार हो रही बारिश से सब्जियों की फसलों को नुकसान पहुंचा है. ऐसे में लतवाली सब्जी कद्दू, नेनुआ, झिंगी, करैला की फसल नष्ट हो गयी है. वहीं बाहर से आवक कम होने के कारण सब्जियों की कीमतों में भारी उछाल से भोजन का स्वाद व रसोई का बजट बिगड़ गया है. आमलोगों को सोचना पड़ रहा है कि क्या खरीदे, क्या बनायें. सबसे सस्ता आलू है, लेकिन शुगर मरीज इसे नहीं खा सकते. फिलहाल बाजार में प्याज 25 रुपये किलो, टमाटर 60, फूलगोभी 100, बंदा गोभी 50, ओल 70, कच्चा केला 50, कुंदरी 40, हरा मिर्च 100, हरा धनिया 100, बोदी 50, खख्सी 50, मूली 40, करैला 60, नेनुआ 50, झिंगी 50, भिंडी 50, पटल 50, बैंगन 50 रुपये की दर से बिक रही है. लोगों की प्रतिक्रिया: पहले बहुत सारी हरी सब्जियां गांव में मिल जाती थी, मगर बारिश के कारण बाजार का रूख करना पड़ रहा है. जहां सब्जियों का दाम सुनकर पसीना आ जाता है. आम आदमी की पहुंच से हरी सब्जियां दूर होती जा रही है. यह एक गंभीर समस्या है, जिससे कमानेवाले और खानेवाले सभी परेशान हैं. उमेश यादव, युवा नेता बरकट्टा विस क्षेत्र सब्जियों की कीमत ने भोजन का जायका बिगाड कर रख दिया है. जिनका छोटा परिवार है, वे तो सब्जी बना लेते हैं, मगर जिनका बड़ा परिवार है वे बनाने की सोचते भी नहीं बल्कि चना, बेसन, सोयाबीन और आलू से काम चला रहे हैं. सब्जियों की मूल्यवृद्धि ने गृहणियों की परेशानी को बढ़ा दिया है. बुलाकी यादव, चरकी पहरी ————————————————— पहले ग्रामीण क्षेत्र में बाडी में भी खाने भर सब्जी हो जाया करती थी. मगर बारिश के कारण इस बार बाडी में भी सब्जी लगाना मुश्किल है. पहले से लगाया हुआ सब्जी का पौधा खेत में सड़ गल गया. अब हरा सब्जी बाजार से खरीदना पडता है. जहां महंगाई के कारण सब्जी खरीददारी में काफी परेशानी होती है. उमेश यादव पहलवान, चरकी पहरी महंगाई के कारण हरी सब्जी खाना मुश्किल हो गया है. कोई भी सब्जी 50 रुपये से नीचे नहीं मिल रहा है. इस महंगाई में सलाद खाना भी संभव नहीं है. रोज बाजार जाते हैं, मगर सब्जी खरीदते समय असमंजस में पड़ जा रहे हैं कि क्या खरीदे और क्या नहीं खरीदें.थाली से सब्जियां गायब होती जा रही है. सुधाकर यादव, छात्र झामुमो जिलाध्यक्ष
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