संकट में किसान 2कोडपी11 शिवकुमार यादव. 2कोडपी12 रामू यादव. 2कोडपी13 मेहीउद्वीन अंसारी. 2कोडपी14 रामदेव यादव. 2कोडपी15 शशि कुमार पांडेय. ————————- राजेश सिंह,जयनगर इस वर्ष मॉनसून की शुरूआत अच्छी रही. किसानों ने भी धान रोपनी की. धान के खेतों में बाली आने का समय भी आ गया है. ऐसे में धान की फसल में यूरिया का प्रयोग आवश्यक है. कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर कोडरमा के एग्रोफोरेस्टी ऑफिसर रूपेश रंजन ने बताया कि धान की फसल में रोपाई के 21 दिन बाद और दूसरी बार 40 से 45 दिन बाद यूरिया की छिड़काव करना चाहिये, मगर ऐसे समय में बाजार से यूरिया गायब है. संपन्न किसान महंगे दर पर यूरिया खरीद रहे हैं, लेकिन गरीब किसानों के समक्ष परेशानियां उत्पन्न हो गयी है. यूरिया का निर्धारित मूल्य 266 रुपये प्रति बोरा है, जबकि कालाबाजारी में यह 300 से 500 रुपये की दर से मिल रहा है. यूरिया के बाजार से गायब रहने और कालाबाजारी पर किसानों ने अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की है. किसानों की राय::: यूरिया के बाजार से गायब रहने और कालाबाजारी होने के कारण यह सभी दुकानों में मिलता भी नहीं है. महंगे दर पर खरीदने में छोटे किसान विशेष परेशान हैं, सरकार किसानों को खाद उपलब्ध कराये और जिला प्रशासन इस कालाबाजारी पर रोक लगाये. अभी धान की फसल में यूरिया का छिड़काव जरूरी है. शिवकुमार यादव, खेडोबर इकलौता जिला विक्रेता होने के कारण बाजार में मनमानी चल रही है. बड़े दुकानदारों को उचित कीमत पर खाद बेचा जा रहा है और दुकानदार छोटे किसानों से खाद की कालाबाजारी कर रहे हैं. कालाबाजारी के कारण यह दुकानों में है भी नहीं. जहां है वहां ऊंचे दर पर बेचा जा रहा है. ऐसे में किसानों के समक्ष परेशानी आ गयी है. रामू यादव, डुमरडीहा निर्धारित दर पर बाजार में कहीं भी खाद नहीं बिक रहा है. अभी हर किसानों को इसकी जरूरत है. मौके पर लाभ कालाबाजारी में लिप्त खाद विक्रेता उठा रहे हैं. 266 रुपये का खाद 500 रुपये से ऊंचे दाम पर बेचा जा रहा है. छोटे दुकानदार तो बेच भी नहीं पा रहे हैं. समय पर धान के खेतों में यूरिया नहीं डाला गया, तो नुकसान होगा. मेहीउद्दीन अंसारी, बिसोडीह अभी धान की फसल महत्वपूर्ण मोड पर है. इस समय यूरिया का छिड़काव करने से बेहतर पैदावर होगा, मगर सरकार व जिला प्रशासन की लापरवाही से किसानों को सही समय पर उचित दर पर यूरिया नहीं मिल रहा है. जिससे परेशानी बढ़ गयी है. सरकार किसानों को उचित दर पर खाद उपलब्ध कराये कालाबाजारी पर रोक लगे. रामदेव यादव, कोसमाडीह मौसम के हिसाब से बेहतर धान रोपनी हुई है. किसान की फसल से पूरी उम्मीद पाले बैठे हैं, मगर धान में बाली आने का समय हुआ, तो बाजार से यूरिया गायब हो गया. कालाबाजारी में यूरिया खरीदना सभी लोगों की बस की बात नहीं है. किसानों की उम्मीदें टूटने लगी है, खाद नहीं मिलने से क्षेत्र के किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. शशि कुमार पांडेय, घंघरी
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